बड़ा ही खूबसूरूरत शब्द है स्व + तंत्र यानी स्वतंत्र : लेकिन क्या है स्व का तंत्र?
स्वतंत्र, यानि स्व+तंत्र, बड़ा ही खूबसूरत शब्द है स्वतंत्र। जिसने स्व का तंत्र पाया, वह है स्वतंत्र। और क्या है स्व का तंत्र? तंत्र का अर्थ है तकनीक या ऐसी कुंजी जो आंतरिक संपदा का द्वार खोलती है। यह कुंजी कहीं बनी - बनाई नहीं मिलती, यह हर एक को अपनी - अपनी गढ़नी पड़ती है। यह रेडीमेड नहीं है, प्रत्येक को अपनी बनानी या खोजनी पड़ती है। जिसे यह तंत्र मिल गया, वह जिंदगी के तमाम बंधनों के बीच रहकर भी आजाद रहता है। जैसे कीचड़ में रहते हुए खिलने का राज कमल से सीखना है। ऐसा ही निर्भय, निर्गुण, निरामय व्यक्ति स्वतंत्र है।
स्वतंत्रता एक ऐसी अदम्य प्यास प्राणों की चाहत है, जो हर किसी को होती है, लेकिन स्वतंत्रता को संभालने के लिए जो परिपक्वता चाहिए, वह बहुत कम लोगों के पास होती है। स्वतंत्रता के तीन वर्ग हैं, (1) नाकारात्मक स्वतंत्रता, (2) साकारात्मक स्वतंत्रता और (3) विशुद्ध या आत्मिक स्वतंत्रता। नाकारात्मक स्वतंत्रता का अर्थ है किसी चीज या स्थिति से मुक्ति पाना। कोई अवांछित घटना, वस्तु या व्यक्ति से मुक्ति पाने को स्वतंत्र होने को नाकारात्मक स्वतंत्रता कहा जा सकता है। अधिकतर लोग इसी प्रकार की स्वतंत्रता चाहते हैं। जीवन इतना दुखद है कि दुख से मुक्ति पाना व्यक्ति का अहम प्रयास होता है।
राजनैतिक स्वतंत्रता, बंधन से मुक्ति, दासता से मुक्ति या विरोध का भाव, इसी श्रेणी से संबंधित हैं। इसके लिए जो भी क्रांतियाँ की जाती हैं, वे जीतकर भी असफल होती है, क्योंकि दासता से मुक्ति हो गई, सत्ता आ गई, अब सत्ता पाने के बाद आगे क्या कर सकते हैं? उनको पता नहीं चलता। सृजन की कोई समझ या प्रतिभा ऐसे लोगों के पास नहीं होती। स्वतंत्रता को संभालना तलवार की धार पर चलने जैसा होता है। जोखिम से भरा और उतना ही जीवन से लबालब।
अब बात करें साकारात्मक स्वतंत्रता की तो ये ऐसी है जैसे कोई व्यक्ति चित्रकार बनना चाहता हो या कवि या कुछ और बनना चाहता हो और उसे अपने परिवार से संघर्ष करना पड़ता है, ताकि उसे अपना शौक पूरा करने का अवसर मिले। तो यह साकारात्मक स्वतंत्रता या ऊर्जा है। उसे लड़ने में इतना रस नहीं है, जितना कुछ निर्माण करने में है। विशुद्ध स्वतंत्रता तीसरे प्रकार की स्वतंत्रता या कहें आध्यात्मिक स्वतंत्रता। भारत की समूची प्रतिभा सदियों - सदियों से इसमें संलग्न रही है। व्यक्तिगत मुक्ति ही ऋषियों और मनीषियों का लक्ष्य रहा है। यह किसी अप्रिय परिस्थिति से छुटकारा नहीं है, बल्कि अपनी जन्मजात स्थिति को पाना है। भारत के सभी दर्शन और आध्यात्मिक प्रणालियाँ आत्यंतिक आत्मिक स्वतंत्रता की अभिलिप्सा से प्रेरित हैं।
SBG न्यूज चैनल की ओर से आज भारत के 75वें स्वतंत्रता दिवस पर समस्त भारतवासियों को बहुत - बहुत बधाई एवं हार्दिक शुभकामनाएं।
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