आखिरकार बिक ही गई अनिल अंबानी की कर्ज में डूबी कंपनी रिलायंस कैपिटल : 8,600 करोड़ रुपये में हिंदुजा ग्रुप ने खरीदा, जानें कर्जदाताओं को कबतक मिलेंगे डूबे पैसे
नयी दिल्ली : - अनिल अंबानी की कर्ज में डूबी कंपनी रिलायंस कैपिटल आखिरकार पिछले दिनों बिक ही गई। रिलायंस कैपिटल को 8600 करोड़ रुपये में हिंदुजा ग्रुप ने खरीदी है।
हिंदुजा समूह ने बुधवार को 8,600 करोड़ रुपये की बोली के साथ रिलायंस कैपिटल लिमिटेड की दौड़ जीत ली। बैंकिंग सूत्रों के अनुसार नीलामी में रिलायंस कैपिटल के लिए हिंदुजा प्रमुख निवेश कंपनी के रूप में सबसे अधिक बोली लगाने वाले के रूप में उभरी।
लेनदारों की समिति (सीओसी) ने पहले दौर की नीलामी के लिए 6,500 करोड़ रुपये की फ्लोर वैल्यू तय की थी। दूसरे और तीसरे दौर के लिए मूल्य क्रमश: 7,500 करोड़ रुपये और 8,500 करोड़ रुपये थी। बाद के दौर में, राशि को क्रमश: 500 करोड़ रुपये और 250 करोड़ रुपये तक बढ़ाना पड़ा।
रिजर्व बैंक ने निदेशक मंडल को हटा दिया था
गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) के रूप में कार्यरत रिलायंस कैपिटल के निदेशक मंडल को पिछले साल नवंबर में रिजर्व बैंक ने बर्खास्त करते हुए नागेश्वर राव वाई को प्रशासक नियुक्त कर दिया था। आरसीएल दिवाला संहिता के तहत नीलामी में जाने वाली तीसरी एनबीएफसी है। इसके पहले श्रेई ग्रुप और डीएचएफएल की नीलामी हो चुकी है। यह पहला मौका है जब इतने बड़े पैमाने पर किसी कर्ज से दबी कंपनी की ई-नीलामी हुई है।
टॉरेंट समूह ने लगाई सबसे ऊंची बोली
कर्ज में डूबी रिलायंस कैपिटल की समाधान प्रक्रिया के तहत हुई नीलामी में बुधवार को टॉरेंट समूह ने सबसे ऊंची बोली लगाई। अहमदाबाद स्थित टॉरेंट समूह ने अनिल अंबानी समूह द्वारा स्थापित गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) के अधिग्रहण के लिए 68,640 करोड़ रुपये की बोली लगाई है। जबकि हिंदुजा समूह ने दूसरी सबसे बड़ी बोली लगाई, वहीं ओकट्री ने नीलामी चरण में भाग नहीं लिया।
कॉस्मिया पीरामल गठजोड़ पहले ही बोली प्रक्रिया से बाहर हो गया था। ऋणदाताओं की समिति (सीओसी) ने नीलामी के लिए 6,500 करोड़ रुपये की निचली मूल्य सीमा तय की थी। राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) के एक आदेश के अनुसार कर्जदाताओं को 31 जनवरी, 2023 तक रिलायंस कैपिटल की समाधान प्रक्रिया पूरी करनी है।
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