कल के दिन ही 10 साल पहले निर्भया कांड से शर्मसार हुआ था यह गांव, गांव बालों ने कहा जीवनभर का मिला कलंक


स्ती :- दस साल पहले कल ही के दिन यानी शुक्रवार को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की सड़क पर देश को झकझोर देने वाला निर्भया कांड हुआ था।

कल के दिन ही 10 साल पहले निर्भया कांड से शर्मसार हुआ था यह गांव, गांव बालों ने कहा जीवनभर का मिला कलंक


दोषियों को तीन साल पहले फांसी दी गई थी।निर्भया के गुनहगारों में अक्षय ठाकुर, मुकेश सिंह, विनय शर्मा और पवन गुप्ता सहित छह लोग शामिल थे। इसमें आरोपी रामसिंह ने जेल में ही फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी और एक नाबालिग को सुधार गृह से रिहा कर दिया गया था।

इन दोषियों में एक आरोपी उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले के जगन्नाथपुर गांव का पवन गुप्ता भी था। पवन के गांव में फांसी के दो दिन पहले से ही सन्नाटा पसरा हुआ था। पवन के रिश्तेदार जहां चुप्पी साधे हुए थे तो ग्रामीण भी इसे विधि का विधान मान रहे थे। पवन का पूरा परिवार दिल्ली में रहता है, लेकिन उसके कुछ रिश्तेदार और पट्टीदार गांव में रहते हैं।

पवन के गांव के जनार्दन गोस्वामी ने बताया कि निर्भया कांड की घटना हुए 10 साल हो गए हैं, लेकिन यह गांव आज भी उसका कलंक लेकर घूम रहा है। संजय कुमार ने कहा कि निर्भया कांड गांव के लिए काला दिन था। पवन को इसकी सजा जरूर मिली, लेकिन उसका यह पाप अभी भी गांव वाले भोग रहे हैं। संजय गोस्वामी फांसी वाले दिन को याद करके कहते हैं कि पवन को फांसी होने वाली थी, यह सूचना गांव में सबको मिल गई थी। उस दौरान पूरे गांव में मातम पसरा हुआ था। यहां लोग पवन को बचपन से जानते थे। जिस आरोप में उसे सजा-ए-मौत हुई है वैसा उसका स्वभाव नहीं था।

गांव के पुजारी दयानंद गोस्वामी ने कहा की विधि का विधान टाला नहीं जा सकता है। हालांकि पवन बचपन में बेहद सरल स्वभाव का था। गांव के सुखई निषाद ने कहा कि पवन किसी के बहकावे में आकर इस कांड में शामिल हो गया था। वह इस स्वभाव का बिल्कुल भी नहीं था। गांव के ही राम दयाल ने कहा कि पवन दिल्ली से जब गांव आता था, तब वह यहां के बच्चों के साथ ही खेलता था। उसके बचपन की यादें इस गांव से जुड़ी हैं।

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