"सिनेमा की बातें" 1979 में एक फिल्म रिलीज हुई थी, नाम थी 'सुरक्षा'! फिल्म हिट रही और एक नया सितारा का जन्म हुआ, मिथुन चक्रवर्ती -- बिल्कुल साधारण और आम आदमी
साल 1979 में एक फ़िल्म रिलीज हुई थी, फिल्म का नाम था, 'सुरक्षा'! ये वो दौर था, जब अमिताभ बच्चन अपने कैरियर के पीक पर थे, तो वहीं ऋषि कपूर, विनोद खन्ना, धर्मेंद्र और जीतेन्द्र जैसे नायकों का करियर टॉप पर था।
'सुरक्षा' फिल्म सुपर हिट रही और एक नया सितारा चर्चा मे आया, उसका नाम था मिथुन चक्रवर्ती। बिलकुल साधारण और आम आदमी, रंग सांवला। निर्देशक रविकांत नागाइच ने रिस्क लिया और मिथुन जैसे साधारण व्यक्ति को फ़िल्म में शामिल किया। फिल्म की हीरोइन रंजीता नए कलाकार के साथ करने को मान नहीं रहीं थीं।
उन्हें बड़ी मुश्किल से मनाया गया। फ़िल्म रिलीज हुई और चल निकली। फ़िल्म एक्सपर्टस ने उस वक्त कहा था कि फिल्म नहीं चलेगी और अगर चली भी तो एक महज तुक्का होगा। परन्तु इस फिल्म से आम लोगों को अपना नया हीरो मिल गया था। एक ऐसा नायक, जो उन जैसा कामगार वर्ग, मजदूर, रिक्शा चलाने वाले, रहड़ी भेल लगाने वाले, यानी गरीबों तक का एक हीरो मिल गया था। उनका हेयर स्टाइल उस समय के लड़कों, बूढ़ों, सभी ने कॉपी किया।
उस समय के सुपर स्टार अमिताभ बच्चन ने सपने में भी सोचा नहीं होगा की एक दिन अपने फिल्मों को हिट कराने के लिए मिथुन की जरूरत पड़ेगी। 'तराना', 'हम पांच', 'वारदात' 'शौकीन' जैसी हिट फिल्म के बाद मिथुन के पाँव थकने लगे थे। वजह, कोई भी बड़ा बैनर या निर्देशक उसके साथ काम करने को राजी ना थे और ना ही कोई बड़ी हीरोइन। हीरोइन के नाम पर उसके प्यार में पड़ी बस रंजीता कौर ही थी।
लेकिन फिर एक करिश्मा हुआ फ़िल्म 'डिस्को डांसर' (1982) के साथ l फ़िल्म सुपर हिट रही l ओवरसीज मे तो फ़िल्म से 100 करोड़ की कमाई हुई, जो आज के हिसाब से 8-9 हजार करोड़ तो बनते ही हैं। अब रातों रात मिथुन अमिताभ की टककर मे खडे हो गए।
80 के दशक में अमिताभ बच्चन भी मिथुन चक्रवर्ती को टक्कर नहीं दे पाए। बता दें कि पूरे 80 के दशक में मिथुन ने 110 फिल्में की। ऐसा कर पाना किसी भी लीड एक्टर के लिए नानमुकिन है। वहीं अमिताभ बच्चन की उस वक्त महज 34 फिल्में रिलीज हुई थी, जिसमें 9 फिल्मों मे वो मेहमान भूमिका में नजर आए थे।
कहा जाता है कि अपनी शान बचाने के लिए अमिताभ बच्चन ने उस वक्त फिल्मों से सन्यास ले लिया था, दरअसल अमिताभ का करियर तो रमेश सिप्पी की 'शान' फ़िल्म पर ही खत्म हो गया था। बड़े बैनर और निर्देशक की वजह से वो बिलकुल डिफेंसीव पोजीशन पर थे। जबकि मिथुन दा के पास इतना काम था की डायरेक्टरस को डेट्स मिल नहीं रही थी।
जिस हीरोइन ने कभी मिथुन के साथ काम करने से मना किया था, बाद में सभी एक्ट्रेस मिथुन के साथ काम पाने को तरसने लगी। यही होता है सुपर स्ट्राडम। उस समय की सुपर स्टार एक्ट्रेस श्रीदेवी भी मिथुन की दीवानी थी, तभी तो मिथुन के साथ पहले रोमांस, फिर शादी फिर ब्रेकअप। वैसे भी किसी नार्मल एक्टर के लिए ऐसा होना असम्भव है। उस समय मिथुन चक्रवर्ती ने 'घर एक मंदिर', 'प्यार झुकता नहीं', 'कसम पैदा करने वाले की'
'वक़्त की आवाज़', 'स्वर्ग से सुंदर', 'जाल', 'ऐसा प्यार कहां', 'मुजरिम', 'दाता', 'लड़ाई', 'कमांडो', 'प्रेम प्रतिज्ञा', 'मुद्दत', 'वतन के रखवाले', 'डांस डांस', 'जीते हैं शान से', 'इलाका' जैसी सुपर हिट फिल्में दी।
मिथुन की रवानगी का एक नमूना देखिए, तीन साल के ब्रेक के बाद अमिताभ बच्चन पर्दे पर मनमोहन देसाई की फ़िल्म 'गंगा जमुना सरस्वती' से वापसी की। पहले विनोद खन्ना और ऋषि कपूर और अमिताभ बच्चन को लेकर फिल्म बनाई जानी थी, लेकिन मनमोहन देसाई को विनोद और ऋषि को निकाल फेंकना पड़ा, क्योंकी वो मिथुन युग था, उसकी बिना मदद से अमिताभ की वापसी नही की जा सकती थी।
कहते हैं न की हरेक चीज का अस्त होता है। 90 के दशक में मिथुन के उस सुनहरे दौर का अंत हो गया। सिर्फ मिथुन ही नहीं, अमिताभ ऋषि कपूर, धर्मेंद्र, जीतेंद्र, राजेश खन्ना, जैकी श्राफ, सभी का करियर समाप्त हो गया। लेकिन फिर भी मिथुन ने इस दशक में भी 100 से ज्यादा फिल्में की थी। अगली कड़ी में और अधिक जानेंगे मिथुन चक्रवर्ती को।
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