पश्चिम बंगाल में कैसे सियासत का हथियार बन गया "रामनवमी का त्यौहार"
कोलकाता : पश्चिम बंगाल में कोई एक दशक पहले तक रामनवमी का त्यौहार चुनिंदा मंदिरों और आम लोगों के घरों तक ही सीमित था,
लेकिन वहाँ अब सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा के बीच यह पर्व सियासत का प्रमुख अस्त्र बन गया है।
रामनवमी के मौके पर विश्व हिंदू परिषद और उसके सहयोगी संगठनों की ओर से सैकड़ों की तादाद में आयोजित रैलियां और हथियारों के साथ जुलूस निकालने के मुद्दे पर सरकार और सत्तारूढ़ पार्टी के साथ लगातार टकराव होता रहा है।
वर्ष 2018 में इसी रामनवमी के जुलूस पर कथित पथराव के बाद आसनसोल में दो समुदायों के बीच बड़े पैमाने पर हिंसा और आगज़नी हुई थी। पश्चिम बंगाल में अब तक दुर्गा पूजा और काली पूजा के त्योहारों का ही बड़े पैमाने पर आयोजन किया जाता रहा है, लेकिन वर्ष 2014 में राज्य में भाजपा के उभार के बाद से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, विश्व हिंदू परिषद और उससे जुड़े संगठन रामनवमी को भी उसके मुकाबले खड़ा करने की क़वायद में जुटे हैं।
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