शास्त्रीय धुन पर आधारित प्रोफेसर सुबोध झा की स्वरचित फाग गीत... जो थोड़ी – थोड़ी फिल्मी भी है, मोहे रंग दो
लाल– हे नंद के लाल...
मोहे रंग दो लाल
हे नंद के लाल....
मोहे रंग दो लाल।
देखो–देखो सखियाँ लाई गुलाल,
छेड़ो नहीं बस रंग दो गाल।
मोहे रंग दो लाल.….2
यमुना तट पर रंग घोरे,
राधा संग–संग कृष्ण मोरे,
करत थैय्या, ता ता थैय्या,
ग्वाल बाल संग दाऊ भैय्या।
नाचे नंद के लाल
हे नंद के लाल...
मोहे रंग दो लाल।
मैं बस देखूँ होके निहाल,
छेड़ो नहीं, बस रंग दो गाल,
यशोदानंद गोपाल,
हे नंद के लाल.…
मोहे रंग दो लाल।
देर भयो ना आए गैय्या,
नंद संग–संग यशोदा मैय्या।
ढूंढत–देखत ग्वाल बाल,
कृष्ण संग सखियाँ बेहाल।
नाचे नंद के लाल
मोहे रंग दो लाल,
हे नंद के लाल...
मोहे रंग दो लाल
स्वरचित,
प्रोफेसर सुबोध झा
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