काकोरी काण्ड, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना तथा सायमन कमीशन: भाग-6
अबतक आपने पढ़ा कि असहयोग आन्दोलन देश भर में चरम पर था। अंग्रेजी सत्ता निश्चित रूप से हिल रही थी। अब लग रहा था कि अंग्रेजी साम्राज्य का भारत से विदा होने का समय आ गया है। परंतु दुर्भाग्यवश एक ऐसी घटना हुई और असहयोग आन्दोलन वापस ले लिया गया, जिसकी व्याख्या लोग अपने–अपने हिसाब से करते हैं।
दरअसल क्रांतिकारियों द्वारा की गई चौरा चौरी में अंग्रेज अफसर की हत्या एक भूल थी, जिसके कारण गांधीजी ने भावावेश में असहयोग आन्दोलन वापस ले लिया। यहाँ यह जानना आवश्यक है कि क्रांतिकारियों का आन्दोलन सशस्त्र विद्रोह था।
जब अंग्रेज भोले – भाले निर्दोष भारतीय को मार रहे थे और उसका यदि क्रांतिकारी प्रतिकार कर रहे थे, तो यह वास्तव में समय की मांग थी अंग्रेजों को दूर करने की और उसमें क्रांतिवीर सफल भी हो रहे थे। तो फिर ऐसी कौन सी बात हो गई कि असहयोग आन्दोलन, जिसका असर स्पष्ट दृष्टिगोचर था, वापस ले लिया गया।
मेरी दृष्टि में यह हास्यास्पद लगता है। क्रांतिकारियों के उग्र प्रदर्शन से अंग्रेजी सत्ता में भय का वातावरण बन रहा था और उन्हें यह समझ आ रही थी कि अब सत्ता ज्यादा दिन टिकने वाली नहीं है और यहीं भूल हुई नरमपंथियों से। नरमपंथी नहीं चाहते थे कि आजादी का श्रेय क्रांतिकारियों को मिले। शायद इसीलिए आजादी पाने में भारत को और 25 वर्षों की देरी हो गई वरना क्रांतिकारियों ने तो अंग्रेजियत की ऐसी हवा निकाल दी थी कि अंग्रेज भारत से अपना बोरिया-बिस्तर समेटने के फिराक में था।
काकोरी कांड,राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना तथा साइमन कमीशन
सम्पूर्ण देश में जलाने ज्योति क्रांति की;
1925 में काकोरी घटना अंजाम दिया;
लूटकर रेल और अंग्रेजी सम्पत्ति को;
क्रांतिवीरों ने आन्दोलन के नाम किया।
बिस्मिल,अशफाक, लाहिड़ी, रौशन का;
अपना यह सारा देश बड़ा आभारी था;
सम्पूर्ण देश में असंख्य नौजवानों का;
मर मिटने का दौर अभी भी जारी था।
1924 में कालापानी यातनाएं सहकर;
तत्काल रिहा हुए थे वीर सावरकर;
एक प्रखर वक्ता, लेखक, क्रांतिकारी;
पर हिन्दू हृदय कहना ही है श्रेयस्कर।
कांग्रेस से क्षुब्ध डॉ. हेडगेवार ने;
1925 में संगठन का निर्माण किया;
व्यक्ति निर्माण से राष्ट्र निर्माण करना;
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का लक्ष्य लिया।
यह संघ एक सामाजिक संगठन था,
राष्ट्रीयता पर किया गया मंथन था।
सबके दिलो दिमाग पर चढ़ता गया,
सब जुड़ते गए संगठन बढ़ता गया।
सुलह,सुधार के लिए सन् 1927 में;
एक साइमन कमीशन भारत आया;
जनता भड़क उठी तब यह जानकर;
जब इसमें किसी भारतीय को न पाया।
अपने स्वराज को इसमें न पाकर;
लाला जी ने इसका विरोध किया;
क्रुर अंग्रेजों की लाठियाँ खाकर;
शेरे-ए-पंजाब बस शहीद हुआ।
भगत सिंह,आजाद तथा राजगुरु ने;
इसका बदला लेने का काम किया;
अंग्रेजी अफसर सांडर्स की हत्या हुई;
जिसे लाहौर षडयन्त्र का नाम दिया।
सुबोध
क्रमश:____
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