भगवान भरोसे जिंदा हैं बाढ़ग्रस्त इलाकों के लोग, जिंदा रखने के लिए...
भगवान भरोसे जिंदा हैं बाढ़ग्रस्त इलाकों के लोग, प्रशासन ने तो सभी को मौत के मुंह में डाल ही दिया है,अपने को जिंदा रखने के लिए सिर्फ ले रहे सांसें
साहिबगंज जिले में गंगा के बढ़ते जलस्तर से कई दियारा क्षेत्रों में बाढ़ का पानी प्रवेश कर गया है। प्रभावित परिवारों को प्रशासन से मदद नहीं मिल रही है। मवेशियों के चारे की कमी और बिजली कटौती जैसी समस्याओं से लोग जूझ रहे हैं।
बता दें कि जिले में गंगा नदी का जलस्तर बढ़ने से भयानक बाढ़ आ गई है, जिससे कई इलाके जलमग्न हो गए हैं और लोग परेशान हैं। बाढ़ के कारण कई घर नदी में बह गए हैं, तो वहीं कई मवेशियों की मौत हो गई है और लोग भोजन, पानी, दवाई, और बिजली जैसी बुनियादी सुविधाओं के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
प्रभावित लोग लगभग एक महीने से बाढ़ का सामना कर रहे हैं और उन्हें प्रशासन या जनप्रतिनिधियों से कोई मदद नहीं मिली है, जिससे उनकी परेशानी और बढ़ गई है। कहा जा सकता है की अब बाढ़ प्रभावित लोग सिर्फ अपने को जिंदा रखने के लिए सांसे ले रहे हैं।
ज्ञात हो कि जिला के राजमहल, उधवा और सदर प्रखंड इलाकों में गंगा नदी का जलस्तर कई दिनों से लगातार बढ़ रहा है, जिससे जिले के कई निचले इलाकों में बाढ़ का पानी घुस गया है। नदी का तेज बहाव और कटाव इतना भीषण है कि हजारों परिवारों के घर नदी में समा गए हैं।
इतना ही नहीं, दर्जनों बेजुबान मवेशी भी पानी की तेज धारा में बह गए। हालात की गंभीरता के बावजूद, बाढ़ प्रभावित इलाकों के लोगों को प्रशासन से कोई मदद नहीं मिल रही है, जिससे बाढ़ग्रस्त लोगों की चिंता और बढ़ गई है।
सहज और सरलता से अनुमान लगाया जा सकता है कि इस समय बाढ़ प्रभावित लोगों पर क्या गुजर रही होगी? लेकिन प्रशासन का दावा है कि बाढ़ग्रस्त इलाकों का दौरा किया जा रहा है। बाढ़ प्रभावित लोगों ने बताया कि उनकी सबसे बड़ी परेशानी मवेशियों के लिए चारा का इंतजाम न हो पाना है।
उनके पास मवेशियों को खिलाने के लिए चारा नहीं बचा है और प्रशासन की ओर से भी अब तक उन्हें चारा मुहैया नहीं कराया गया है। इससे उनके मवेशियों की जान पर खतरा मंडरा रहा है। प्रभावित लोगों ने अपनी व्यथा सुनाते हुए कहा कि हमलोग एक महीने से भी ज्यादा समय से बाढ़ से जूझ रहे हैं,
लेकिन कोई हमारी सुध लेने वाला नहीं है। न तो प्रशासन ने और न ही जनप्रतिनिधियों ने ही हमारी सुध ली है। उन्होंने आगे बताया कि राहत के नाम पर प्रशासन ने 15 दिन पहले थोड़ा बहुत चूड़ा और गुड़ दिया था, लेकिन उसके बाद से कोई भी अधिकारी या कर्मचारी उनसे मिलने नहीं आया है।
गांवों में कई दिनों से बिजली गायब है, केरोसिन तेल नहीं मिल रहा है, पीने का स्वच्छ जल नहीं मिल पा रहा है। मरीजों को दवाई नहीं मिल पा रही है। लोगों को रात के अंधेरे में रहने पर मजबूर होना पड़ रहा है। बिजली न होने से उन्हें और उनके मवेशियों को भी बराबर खतरा बना रहता है।
ग्रामीणों ने बताया कि रात के अंधेरे में उनके कुछ मवेशियों को सांप ने काट लिया, जिससे उनकी मौत हो गई। सवाल उठता है कि मजबूर नागरिकों को जरूरत की मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध क्यों नहीं करा पा रहा है जिला प्रशासन? बाढ़ प्रभावित लोगों ने बताया कि उन्हें मवेशियों के लिए चारा तो दूर,
पीने का साफ पानी और दवा जैसी बुनियादी सुविधाएं भी नहीं मिल पा रही हैं। लगातार पानी में रहने से उनके पैरों में संक्रमण हो गया है। उन्हें रहने के लिए तिरपाल और अन्य राहत सामग्री भी अब तक नहीं दी गई है। प्रशासन बचाव कार्य का लाख दावा कर रहा है, परंतु हकीकत यह है कि बाढ़ग्रस्त इलाकों के लोग सिर्फ भगवान के भरोसे ही जिंदा हैं, वरना प्रशासन ने तो सबको मरने के लिए छोड़ ही दिया है...
संजय कुमार धीरज की विशेष रिपोर्ट
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