सुरक्षित नहीं लोकतंत्र का चौथा स्तंभ, कोटालपोखर में हुआ पत्रकार पर हमला
कोटालपोखर : स्थानीय पत्रकार ओमप्रकाश साह पर हुए निर्मम हमले ने एक बार पुनः पत्रकारों की सुरक्षा व्यवस्था और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लेकर गंभीर चिंताएं उत्पन्न कर दिए हैं। भीड़ ने न केवल एक पत्रकार से मारपीट की, बल्कि उनके गले की चेन, एयरफोन और हार्डडिस्क भी छीन लिए। घटना बीते रविवार की संध्या लगभग 4:30 बजे के आसपास की है।
बताया जा रहा है कि कोटालपोखर के शांति चौक में चार चक्का गाड़ियों तथा मोटरसाइकिल की वजह से जाम लग गया था। जाम हटाने के लिए लोग इधर-उधर गाड़ियां साइड करने लगे। इसी बीच बाइक सवार अंशुमन कुमार ने एक गाड़ी के ड्राइवर को थोड़ा साइड करने को कहा।
इसी बात पर ड्राइवर भड़क गया और अंशुमन को गंदी-गंदी गालियां देने के साथ ही धक्का–मुक्की करने लगा। दोनों के बीच हाथापाई के बाद ड्राइवर ने अपनी गाड़ी संख्या WB 65E–2478 से लोहे का रॉड निकाल कर जोर से उसके सर पर वार कर दिया, जिससे उसका सर दो जगह फट गया।
इसी दौरान अंशुमन के मित्र पत्रकार ओमप्रकाश साह तथा उमेश बेसरा ने उसे बचाने की कोशिश की। इसी क्रम में लोगों ने ओमप्रकाश साह व उमेश बेसरा से मारपीट की। अपनी मदद के लिए ड्राइवर और खलासी ने फोन करके अपने कुछ और साथियों को भी बुला लिया।
जैसे ही उन लोगों को मालूम चला कि ओमप्रकाश एक पत्रकार हैं तो उन लोगों ने ओमप्रकाश को जान से मारने की नीयत से एक साथ हमला कर दिया। हमले में ओमप्रकाश की दाई आंख में खून जमा हो गया है। साथ ही शरीर के कई अंगों में भी लाठी–डंडों के प्रहार से अंदरूनी और बाहरी चोटें लगी हैं।
मारपीट के दौरान पत्रकार के गले से चांदी की चेन, वोट कंपनी का एयरफोन तथा 4 TB का हार्डडिस्क छीन लिया, जिसमें शादी–विवाह के जरूरी वीडियो तथा जरूरी दस्तावेज मौजूद थे। घटना के पश्चात ओमप्रकाश ने कोटालपोखर थाना प्रभारी चंदन कुमार को एक लिखित आवेदन सौंपते हुए
आरोपियों के विरुद्ध तत्काल कठोर कार्रवाई करने की मांग की है। यह घटना इस बात का प्रमाण है कि लोकतंत्र का चौथा स्तंभ आज स्वयं असुरक्षित है। यदि पत्रकार सुरक्षित नहीं रहेंगे तो समाज की आवाज दबाई जाएगी, तब सामाजिक मुद्दों को उठाएगा कौन?
✍️अनूप साह
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