साहिबगंज में कबाड़ से जुगाड़ कर बनेगा अनोखा वंडर टू पार्क
साहिबगंज में कबाड़ से जुगाड़ कर बनेगा अनोखा वंडर टू पार्क, 1000 टन कबाड़ व कचरे का होगा इस्तमाल, यह पार्क देगा पर्यावरण संरक्षण का संदेश
साहिबगंज : जिले वासियों के मनोरंजन, पर्यावरण संरक्षण व सैर–सपाटे के उद्देश्य से साहिबगंज जिले में कचरे और कबाड़ से अनोखा "वेस्ट टू वंडर पार्क" का निर्माण कराया जाएगा। करीब 22 हजार वर्ग फीट के दायरे में इस पार्क का निर्माण होगा।
वेस्ट टू वंडर पार्क बच्चों व बड़ों को लुभाएगा। साथ ही आगंतुकों के लिए मनोरंजन के अन्य इंतजाम भी किए जाएंगे। इसमें 1000 टन से अधिक कबाड़–कचरे का इस्तेमाल किया जाएगा। जिसमें मुख्यतः ऑटोमोबाइल के कचरे, टूटे पंखे, लोहे के वायर,
बेकार पुर्जे, नट – बोल्ट, पुराना व बेकार साइकिल और बाइक, झामा ईंटें, टूटा हुआ टाइल्स और कप–डिश, पुराने बर्तन, टूटा हुआ चापानल, बेकार गैस सिलेंडर और स्टोव, खराब टेलीविजन, लोहे के पुराने उपकरण जैसी बेकार वस्तुओं का उपयोग होगा।
इन खराब पड़े बेकार सामानों से तितलियां, तोप, मीनारें, कुर्सियां, स्कूटर, झूले, चश्मा, टॉय ट्रेन जैसी अन्य अलग–अलग आकर्षक कलाकृतियां और वस्तुएं इस वंडर टू पार्क में बनवाई जाएंगी। बेकार टायर व सब्जी के क्रेज का उपयोग पौधारोपण के लिए किया जाएगा।
पार्क के जरिए लोगों को प्लास्टिक के इस्तमाल को कम करने एवम कबाड़ को रीसाइकिल करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। यह पार्क पर्यावरण संरक्षण का संदेश देगा, साथ ही यह पार्क लोगों को प्लास्टिक के इस्तमाल को कम करने का संकल्प भी देगा।
हरियाली के लिए पार्क में आकर्षक रूप से वृक्षारोपण किया जाएगा। पार्क में स्वच्छता संदेश लिखवाए जाएंगे, ताकि आमजन में सफाई के प्रति जागरूकता बढ़ाई जा सके। इस पार्क में विज्ञान की जिज्ञासा से संबंधित कई चीजें भी उपलब्ध रहेंगी।
साहिबगंज में कबाड़ से जुगाड कर बनने वाले इस अनोखे वंडर टू पार्क की थीम यहां के उपायुक्त हेमन्त सती के सोच का परिणाम है। पार्क का निर्माण नगर परिषद के सहयोग से कराया जाएगा।
क्या कहते हैं उपयुक्त
इस संदर्भ में उपयुक्त हेमन्त सती कहते हैं कि जुगाड की अवधारणा इस विचार को बढ़ावा देती है कि हर वस्तु, चाहे वह कितनी भी महत्वहीन या त्यागी हुई ही क्यों न हो, उसमें अपर्याप्त क्षमता होती है। यह त्यागी हुई वस्तुओं का पुनः उपयोग करके कचरे को खजाने में बदलने का प्रयास है। रिसाइक्लिंग और स्थिरता के इसी सिद्धांत पर काम करते हुए "ट्रिपल आर" यानी रिड्यूस, रीयूज व रीसाइकिल से वंडर पार्क का निर्माण कराया जाएगा।
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