शैक्षणिक उद्देश्य से दुमका के विद्यार्थियों ने किया फॉसिल्स पार्क और मोती झरना का शैक्षणिक भ्रमण
शैक्षणिक उद्देश्य से दुमका के विद्यार्थियों ने किया फॉसिल्स पार्क और मोती झरना का शैक्षणिक भ्रमण, जीवाश्म विज्ञान पर मिली गहन जानकारी
साहिबगंज | विशेष संवाददाता - संजय कुमार धीरज
दुमका जिले के एमबीबीएस कोचिंग सेंटर के निदेशक सुनील कुमार शर्मा के नेतृत्व में विद्यार्थियों के एक समूह ने साहिबगंज जिले के मंडरो प्रखंड स्थित फॉसिल्स पार्क और तालझारी प्रखंड के महाराजपुर स्थित मोती झरना का शैक्षणिक भ्रमण किया। इस भ्रमण का उद्देश्य विद्यार्थियों को प्राकृतिक धरोहर, जीवाश्म विज्ञान, भू-गर्भीय संरचना तथा जैव विविधता के बारे में प्रत्यक्ष ज्ञान देना था।
जीवाश्मों की दुनिया से रूबरू हुए छात्र-छात्राएं
विद्यार्थियों ने फॉसिल्स पार्क में प्राकृतिक रूप से संरक्षित जीवाश्मों को नजदीक से देखा और उनके वैज्ञानिक महत्व को समझा। भू-वैज्ञानिक डॉ. रणजीत कुमार सिंह ने विद्यार्थियों को राजमहल पहाड़ी श्रृंखला की उत्पत्ति, भू-रचनात्मक प्रक्रिया, खनिज संपदा, तथा वनस्पतियों के विषय में विस्तारपूर्वक जानकारी दी। उन्होंने यह भी बताया कि राजमहल की यह भूगर्भीय संरचना करोड़ों वर्ष पुरानी है और इसे वैज्ञानिक दृष्टिकोण से संरक्षित किया जाना अत्यंत आवश्यक है।
गाइड लक्ष्मण मुर्मू ने फॉसिल्स पार्क में पाई जाने वाली प्रमुख संरचनाओं, जीवाश्मों और शैविक संरचनाओं का परिचय कराया। उन्होंने बताया कि कैसे ये फॉसिल्स पृथ्वी के इतिहास, जलवायु परिवर्तन और जैव विकास के बारे में अमूल्य जानकारी प्रदान करते हैं।
शोध की दिशा में एक प्रेरणादायी यात्रा
इस शैक्षणिक भ्रमण के दौरान विद्यार्थियों को न केवल जीवाश्मों के बारे में जानकारी दी गई, बल्कि उन्हें उच्च शिक्षा और शोध कार्यों के लिए भी प्रेरित किया गया। निदेशक सुनील कुमार शर्मा ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि 11वीं और 12वीं के स्तर पर ही विद्यार्थियों में अनुसंधान की भावना जगाना आवश्यक है। उन्होंने फॉसिल्स रिसर्च जैसे उभरते विषयों पर अध्ययन और शोध को भविष्य के करियर विकल्प के रूप में अपनाने की सलाह दी।
डॉ. रणजीत कुमार सिंह ने इस अवसर पर कहा, “मंडरो फॉसिल्स पार्क वैश्विक धरोहर के रूप में जाना जाता है। यह धरती की करोड़ों वर्षों पुरानी भू-गर्भीय कहानियों को जीवंत करता है। विद्यार्थियों के लिए यह एक जीवंत प्रयोगशाला की तरह है।”
राजमहल क्षेत्र को संरक्षित घोषित करने की मांग
विद्यार्थियों ने राजमहल की पर्वत श्रृंखला और आसपास के क्षेत्र को संरक्षित व प्रतिबंधित भू-क्षेत्र घोषित करने की मांग की, ताकि इन प्राकृतिक धरोहरों को अतिक्रमण और अवैज्ञानिक दोहन से बचाया जा सके। उनका मानना है कि यदि इन क्षेत्रों की वैज्ञानिक महत्ता को सुरक्षित रखा गया, तो आने वाले समय में यह शोध और पर्यटन दोनों के लिए महत्वपूर्ण केंद्र बन सकता है।
शैक्षणिक यात्रा में रहा उत्साह, विज्ञान के प्रति जागरूकता
शैक्षणिक भ्रमण में शामिल छात्रों – मीत भगत, नवीन कुमार, नीतू, तनुश्री, मुस्कान सहित दर्जनों विद्यार्थियों ने इस अनुभव को अत्यंत उपयोगी बताया। उन्होंने कहा कि जीवाश्मों को प्रत्यक्ष देखने और वैज्ञानिकों से जानकारी प्राप्त करने से उनकी सीखने की जिज्ञासा और भी प्रबल हुई है।
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