क्या है हिजरी नववर्ष, पंचांग और इस्लाम धर्म में इसका ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व


🌙 हिजरी नववर्ष: चांद की चुप्पियों में बसी एक नई शुरुआत की दास्तान

क्या है हिजरी नववर्ष, पंचांग और इस्लाम धर्म में इसका ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व

विशेष लेख: जब चंद्रमा अपनी पूर्णिमा की ओर बढ़ता है और रात की नीरवता में नए वक्त की दस्तक देता है, तभी इस्लामी दुनिया में हिजरी नववर्ष की शुरुआत होती है। वर्ष 2025 में यह नववर्ष 27 जून को पड़ा — चंद्र पंचांग के अनुसार 1447 हिजरी की पहली तारीख, यानी 1 मोहर्रम। यह दिन न केवल एक कैलेंडर का मोड़ है, बल्कि इतिहास, आध्यात्मिकता और बलिदान की यादों को पुनर्जीवित करने का अवसर है।


📖 कैलेंडर नहीं, बल्कि एक विरासत है हिजरी पंचांग

इस्लामी पंचांग, जिसे हिजरी या चंद्र पंचांग कहा जाता है, केवल तारीख़ों का हिसाब-किताब नहीं है। इसकी नींव हिजरत पर टिकी है — वह ऐतिहासिक क्षण जब पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद (सल्ल.) ने मक्का से मदीना की ओर कूच किया था। यह प्रवास सिर्फ भौगोलिक नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक क्रांति की शुरुआत थी। उसी वर्ष, यानी 622 ईस्वी, से हिजरी वर्ष की गणना शुरू हुई।


🗓️ वक्त की चाल — चंद्रमा के साथ

हिजरी कैलेंडर पूरी तरह से चंद्रमा की गति पर आधारित है। हर महीना 29 या 30 दिन का होता है और साल में कुल 354 या 355 दिन होते हैं। इसलिए हर साल इस्लामी पर्व लगभग 10-11 दिन पहले आ जाते हैं। यही कारण है कि रमज़ान, ईद, मोहर्रम और हज की तारीख़ें ग्रेगोरियन कैलेंडर में बदलती रहती हैं।


🕌 मोहर्रम: शुरुआत भी, स्मृति भी

हिजरी वर्ष का पहला महीना मोहर्रम होता है, जिसे इस्लाम में चार पवित्र महीनों में से एक माना गया है। इस महीने की दसवीं तारीख़ 'आशूरा' का विशेष महत्व है। यही वह दिन है, जब इमाम हुसैन (र.अ.) ने कर्बला के तपते रेगिस्तान में अत्याचार के विरुद्ध डटकर खड़े होने का इतिहास रचा।

यह नववर्ष का पहला महीना किसी जश्न का आह्वान नहीं करता, बल्कि यह सत्य, बलिदान और न्याय की गूंज है — एक याद कि रास्ता चाहे कितना भी कठिन हो, सिर झुकाना मुमकिन नहीं।


🌍 विश्व में हिजरी पंचांग का प्रभाव

मुस्लिम बहुल देशों में — जैसे सऊदी अरब, पाकिस्तान, बांग्लादेश, ईरान, अफगानिस्तान — हिजरी कैलेंडर को आधिकारिक मान्यता प्राप्त है। धार्मिक पर्व, सरकारी निर्णय, हज और रमज़ान की तिथियाँ इसी के अनुसार तय होती हैं।

इसके अलावा दुनियाभर के मुस्लिम इस कैलेंडर को धार्मिक जीवन की धुरी के रूप में अपनाते हैं। इस पंचांग के बिना इस्लामी जीवन अधूरा माना जाता है।


💭 हिजरी नववर्ष का सार: आत्मचिंतन और आध्यात्मिक जागृति

जहाँ ग्रेगोरियन नववर्ष पार्टी, आतिशबाज़ी और शोरगुल से भरा होता है, वहीं हिजरी नववर्ष आत्मचिंतन, संयम और आध्यात्मिक विचारों से जुड़ा है। यह एक ऐसा समय है जब मुस्लिम समुदाय बीते साल की ग़लतियों पर विचार करता है और नए साल में अल्लाह की राह पर चलने की नीयत करता है।


📌 नववर्ष की प्रेरणा: इतिहास की रोशनी में भविष्य की राह

हिजरी नववर्ष हमें यह याद दिलाता है कि:

  • सच्चाई के रास्ते पर चलना कठिन हो सकता है, लेकिन वह ही सर्वश्रेष्ठ है।

  • बलिदान सिर्फ इतिहास की कहानी नहीं, बल्कि वर्तमान की ज़रूरत भी है।

  • हर मुसलमान को अपने अंदर हुसैनी जज़्बा जगाने की जरूरत है।

                                                            Sanjay

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