भोगनाडीह में हूल दिवस पर बवाल, पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच टकराव


भोगनाडीह में हूल दिवस के आयोजन को लेकर हुआ विवाद, पुलिस ने किया हल्का लाठीचार्ज और आंसू गैस का इस्तेमाल


भोगनाडीह में हूल दिवस के आयोजन को लेकर हुआ विवाद, पुलिस ने किया हल्का लाठीचार्ज और आंसू गैस का इस्तेमाल

साहिबगंज/बरहेट | विशेष संवाददाता – संजय कुमार धीरज

अमर शहीद सिद्धो-कान्हू मुर्मू की जन्मस्थली भोगनाडीह में आयोजित हूल दिवस कार्यक्रम इस वर्ष विवादों की भेंट चढ़ गया। कार्यक्रम स्थल को लेकर प्रशासन और स्थानीय संगठनों के बीच टकराव के बाद स्थिति तनावपूर्ण हो गई। हालात बिगड़ते देख पुलिस को हल्का बल प्रयोग करना पड़ा, वहीं भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले भी छोड़े गए। इस घटना में तीन पुलिसकर्मियों के घायल होने की पुष्टि हुई है।

विवाद की पृष्ठभूमि

हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी 30 जून को भोगनाडीह में हूल दिवस मनाया जाना था। हालांकि इस बार सिद्धो-कान्हू मुर्मू हूल फाउंडेशन और आतु मांझी वैसी संगठन ने प्रशासन से स्वतंत्र रूप से आयोजन की अनुमति की मांग की थी। संगठनों का कहना था कि वे सरकारी मंच के बजाय पारंपरिक और सांस्कृतिक तौर-तरीकों से श्रद्धांजलि देना चाहते हैं।

मांग पूरी न होने से नाराज संगठन के लोग, शहीद के वंशज मंडल मुर्मू के नेतृत्व में, पारंपरिक हथियारों के साथ भोगनाडीह पहुंचे और शहीद पार्क के मुख्य द्वार पर ताला जड़ दिया। इसके बाद आंदोलनकारियों ने बांस-बल्लियों के सहारे सड़क को अवरुद्ध कर दिया, जिससे आम नागरिकों की आवाजाही भी बाधित हो गई।

प्रशासन की कार्रवाई और टकराव

सोमवार की सुबह जैसे ही पुलिस और प्रशासन की टीम ताला खोलने और रास्ता साफ कराने के लिए मैदान में पहुंची, आंदोलनकारी उग्र हो गए। स्थिति उस समय विस्फोटक बन गई जब भीड़ में से किसी ने पुलिस दल पर तीर चला दिया, जिससे तीन पुलिसकर्मी घायल हो गए। उन्हें तुरंत प्राथमिक उपचार के लिए बरहेट सीएचसी ले जाया गया।

स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने हेतु आंसू गैस के गोले दागे और हल्का लाठीचार्ज भी किया। इसके बाद कुछ देर तक क्षेत्र में अफरातफरी का माहौल रहा, हालांकि बाद में स्थिति सामान्य कर ली गई।

प्रशासन की प्रतिक्रिया

पुलिस प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि कानून व्यवस्था से खिलवाड़ करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। बरहेट थानाध्यक्ष ने बताया कि घटना में शामिल उपद्रवियों की पहचान की जा रही है, और जल्द ही गिरफ्तारी की जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि जिले में शांति बनाए रखने के लिए अतिरिक्त पुलिस बल की तैनाती की गई है।

हूल दिवस का महत्व

हूल दिवस झारखंड के आदिवासी इतिहास और स्वतंत्रता संग्राम में एक अहम अध्याय है। 30 जून 1855 को सिद्धो और कान्हू मुर्मू के नेतृत्व में आदिवासियों ने अंग्रेजों के अत्याचारों के खिलाफ विद्रोह किया था, जिसे ‘हूल विद्रोह’ के नाम से जाना जाता है। यह दिन हर साल श्रद्धा, गर्व और सांस्कृतिक गौरव के साथ मनाया जाता है।

निष्कर्ष

भोगनाडीह की घटना यह दर्शाती है कि ऐतिहासिक और भावनात्मक महत्व रखने वाले आयोजनों में प्रशासनिक संवाद और सामाजिक समन्वय अत्यंत आवश्यक है। हालांकि इस बार का आयोजन विवाद और हिंसा की छाया में रहा, फिर भी उम्मीद है कि आने वाले समय में हूल दिवस की गरिमा और संदेश को मिलकर संरक्षित किया जाएगा।


📍 रिपोर्टिंग: संजय कुमार धीरज
🌐 प्रकाशित: www.sahibganjnews.com
🗓️ तारीख: 30 जून 2025

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