कोटालपोखर में श्रद्धा और परंपरा के साथ निकली भगवान जगन्नाथ की भव्य रथ यात्रा
कोटालपोखर (साहिबगंज) / संवाददाता: अनूप साह: श्रद्धा, संस्कृति और आध्यात्मिक उल्लास से ओत-प्रोत भगवान जगन्नाथ की भव्य रथ यात्रा बुधवार को कोटालपोखर में बड़े ही श्रद्धा भाव और हर्षोल्लास के साथ निकाली गई। जयकारों से गूंजते वातावरण में हजारों श्रद्धालुओं की उपस्थिति ने इस धार्मिक पर्व को यादगार बना दिया।
रथ यात्रा में उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब
सुबह से ही कोटालपोखर बाजार के कोने-कोने से “जय जगन्नाथ” के उद्घोष सुनाई देने लगे। भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि आस्था, परंपरा और सामाजिक समरसता का जीवंत प्रतीक बन गई। रथ को खींचने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक ने रथ की रस्सी को अपने हाथों से खींचने का सौभाग्य प्राप्त किया।
परंपरा के अनुसार निकाली गई यात्रा
भगवान जगन्नाथ के रथ को परंपरा अनुसार “नंदी घोष” कहा जाता है, जिसमें 16 पहिए होते हैं और रथ को लाल और पीले रंग के कपड़े से सजाया गया था। रथ को खींचने वाली रस्सी को “शंखचूड़” कहा जाता है, जिसे खींचना अत्यंत पुण्यकारी माना जाता है।
भक्ति में भीगा कोटालपोखर, बारिश बनी वरदान
रथ यात्रा के दौरान हल्की बारिश ने पूरे माहौल को और भी भक्तिमय बना दिया। पूरे कोटालपोखर बाजार में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा के जयकारे गूंजते रहे। श्रद्धालुओं ने उत्सव को फूल, प्रसाद और भजन-कीर्तन के माध्यम से मनाया।
दूर-दूर से पहुंचे श्रद्धालु
इस रथ यात्रा में साहिबगंज जिले के विभिन्न गांवों और कस्बों से हजारों की संख्या में श्रद्धालु कोटालपोखर पहुंचे। युवाओं, महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों की सहभागिता ने आयोजन को अत्यंत भव्य और सफल बना दिया। यात्रा के दौरान सुरक्षा व्यवस्था और मार्ग व्यवस्था को लेकर भी विशेष प्रबंध किए गए थे।
सार: परंपरा का जीवंत उत्सव
कोटालपोखर की यह रथ यात्रा न केवल एक धार्मिक आयोजन, बल्कि क्षेत्र की सांस्कृतिक धरोहर का जीवंत उदाहरण है। हर वर्ष की तरह इस बार भी रथ यात्रा ने समाज के सभी वर्गों को एक मंच पर लाकर सांप्रदायिक सौहार्द का संदेश दिया।
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