भाजपा अध्यक्ष पद की दौड़ हुई तेज, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और शीर्ष नेतृत्व के बीच गहन मंथन जारी
लोकसभा चुनाव 2024 के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में संगठनात्मक बदलाव की प्रक्रिया तेज़ होती दिख रही है। पार्टी के मौजूदा राष्ट्रीय अध्यक्ष जगतरक्षक प्रकाश नड्डा (जेपी नड्डा) का कार्यकाल समाप्ति की कगार पर है और अब उनके उत्तराधिकारी को लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के बीच गहन मंथन जारी है।
🔍 संघ की निर्णायक भूमिका
सूत्रों के अनुसार, इस बार संघ अध्यक्ष पद के चयन में अपेक्षाकृत अधिक निर्णायक भूमिका निभा रहा है। संघ का जोर ऐसे नेतृत्व पर है, जो संगठनात्मक अनुशासन, वैचारिक निष्ठा और जमीनी कार्यकर्ताओं से जुड़ाव को प्राथमिकता दे। यह मंथन न केवल व्यक्ति के नेतृत्व कौशल पर केंद्रित है, बल्कि यह भी सुनिश्चित किया जा रहा है कि अगला अध्यक्ष संघ के संस्कारों और मूल विचारधारा के अनुरूप हो।
👩💼 संभावित चेहरे: महिला नेतृत्व को प्राथमिकता?
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निर्मला सीतारमण – वर्तमान केंद्रीय वित्त मंत्री और एक मजबूत, सशक्त महिला चेहरा। सरकार और संघ दोनों के लिए विश्वसनीय, विचारशील और अनुशासित छवि के कारण उनका नाम सबसे ऊपर माना जा रहा है। यदि भाजपा महिला नेतृत्व को आगे लाना चाहती है तो उनका चयन ऐतिहासिक हो सकता है।
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डी. पुरंदेश्वरी – आंध्र प्रदेश भाजपा की अध्यक्ष और वरिष्ठ नेता। दक्षिण भारत में भाजपा के विस्तार की दृष्टि से, और संघ की पृष्ठभूमि होने के कारण वे भी एक मजबूत दावेदार के रूप में देखी जा रही हैं।
🧭 अन्य प्रमुख नामों पर भी चर्चा
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विनोद तावड़े – संगठन में लंबे समय से कार्यरत, वैचारिक रूप से प्रतिबद्ध नेता।
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वानथी श्रीनिवासन – तमिलनाडु की नेता, महिला मोर्चा से जुड़ी हुईं, वैचारिक और संगठनात्मक रूप से सजग।
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धर्मेंद्र प्रधान, शिवराज सिंह चौहान, मनोहर लाल खट्टर – तीनों लोकप्रिय चेहरे हैं, जिनका लंबा प्रशासनिक अनुभव है। लेकिन संघ, इस बार अधिक वैचारिक और अनुशासित नेतृत्व की ओर झुकता दिख रहा है।
🧩 क्या बदलेगी भाजपा की दिशा?
जानकारों का मानना है कि भाजपा इस बार जनाधार से अधिक वैचारिक संतुलन और संगठनात्मक स्थिरता पर ध्यान दे रही है। यही वजह है कि नया अध्यक्ष कोई "लोकप्रिय चेहरा" नहीं, बल्कि "संघ-संगत, अनुशासित और निष्ठावान" नेता होगा।
अगर निर्मला सीतारमण या डी. पुरंदेश्वरी में से किसी एक को अध्यक्ष बनाया जाता है, तो यह भाजपा में महिला नेतृत्व के नए युग की शुरुआत मानी जाएगी।
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