खुदाई में मिली प्राचीन चामुंडा देवी की मूर्ति, ग्रामीणों में आस्था की लहर, मंदिर में स्थापना की तैयारी


खुदाई में मिली प्राचीन चामुंडा देवी की मूर्ति, ग्रामीणों में आस्था की लहर, मंदिर में स्थापना की तैयारी

साहिबगंज (बरहरवा) : झारखंड के साहिबगंज जिले के बरहरवा प्रखंड अंतर्गत बेलडांगा कमालपुर गांव में एक अद्भुत घटना सामने आई है। शुक्रवार को स्थानीय किसान मयंक रजवार के खेत में खुदाई के दौरान मिट्टी में दबी हुई एक प्राचीन मूर्ति मिली, जो ग्रामीणों के लिए आश्चर्य और आस्था का विषय बन गई। बाद में पहचान की गई कि यह प्रतिमा मां चामुंडा देवी की है, जो हिन्दू धर्म में मां दुर्गा के एक उग्र रूप के रूप में पूजी जाती हैं।

खेत की खुदाई में मिला ऐतिहासिक खजाना

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, खुदाई के समय जब मयंक रजवार को मूर्ति की आकृति दिखी, तो उन्होंने तुरंत गांव के अन्य लोगों को इसकी सूचना दी। सूचना मिलते ही ग्रामीण बड़ी संख्या में मौके पर पहुंचे और खुदाई शुरू कर दी। लगभग चार घंटे की मेहनत के बाद मिट्टी से लगभग दो फीट ऊंची चामुंडा देवी की प्रतिमा सुरक्षित बाहर निकाली गई।

जब प्रतिमा को बाहर लाया गया, तो पहले तो लोग हैरान रह गए, लेकिन बाद में माहौल पूरी तरह से आध्यात्मिक उल्लास में बदल गया। ग्रामीणों ने तुरंत पूजा-अर्चना शुरू कर दी और मूर्ति को मंदिर में रखने का निर्णय लिया।

मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा की होगी विधिवत तैयारी

ग्रामीणों ने सर्वसम्मति से निर्णय लिया है कि इस मूर्ति को गांव के मंदिर में शुभ मुहूर्त पर विधिवत पूजा-अर्चना के साथ स्थापित किया जाएगा। स्थानीय लोगों का मानना है कि यह मूर्ति हजारों वर्ष पुरानी है और इसका खेत में मिलना किसी दैवीय संकेत से कम नहीं है।

ऐतिहासिक और पुरातात्विक महत्व

इस ऐतिहासिक खोज की पुष्टि के लिए मॉडल कॉलेज राजमहल के प्राचार्य व भू-विज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ. रणजीत कुमार सिंह को बुलाया गया। डॉ. सिंह ने प्रतिमा का अवलोकन कर बताया कि यह मूर्ति संभवतः पाल वंश काल (8वीं शताब्दी) की हो सकती है और यह मां दुर्गा के चामुंडा रूप को दर्शाती है। उन्होंने कहा कि प्रतिमा की संरचना, नक्काशी और मुद्रा इस काल की मूर्तिकला की विशेषताओं से मेल खाती है। हालांकि, मूर्ति का अंतिम ऐतिहासिक विश्लेषण केवल भारतीय पुरातत्व विभाग (ASI) द्वारा ही किया जा सकता है।

श्रद्धालुओं का जुटना शुरू

प्रतिमा की सूचना फैलते ही आस-पास के गांवों से भी श्रद्धालुओं का आना-जाना शुरू हो गया है। बड़ी संख्या में लोग दर्शन और पूजा के लिए आ रहे हैं। ग्रामीणों ने प्रशासन से अपील की है कि इस मूर्ति को गांव में ही स्थापित किया जाए ताकि भविष्य में यह स्थल एक धार्मिक व सांस्कृतिक केंद्र के रूप में विकसित हो सके।

प्रशासन कर रहा पुरातत्व विभाग से संपर्क

वहीं दूसरी ओर, स्थानीय प्रशासन भी इस ऐतिहासिक खोज को गंभीरता से ले रहा है। अधिकारियों ने बताया कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) से संपर्क किया जा रहा है ताकि मूर्ति का वैज्ञानिक और ऐतिहासिक मूल्यांकन किया जा सके।


रिपोर्ट: संजय कुमार धीरज | साहिबगंज न्यूज डेस्क

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