विश्व स्तनपान सप्ताह पर भारत को बड़ी सफलता, वर्ल्ड रैंकिंग में 38 स्थान की छलांग
साहिबगंज: विश्व स्तनपान सप्ताह (1 से 7 अगस्त) के मौके पर भारत को वैश्विक स्तर पर एक बड़ी उपलब्धि मिली है। वर्ल्ड ब्रैस्टफीडिंग ट्रेंड्स इनिशिएटिव (WBTi) की ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने स्तनपान रैंकिंग में 79वें स्थान से छलांग लगाकर 41वां स्थान हासिल कर लिया है। यह प्रगति सरकार द्वारा माताओं में स्तनपान के प्रति जागरूकता बढ़ाने और स्वास्थ्य संस्थानों में सुविधाओं को सुलभ बनाने के प्रयासों का नतीजा है।
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS) की रिपोर्ट के मुताबिक:
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जन्म के पहले घंटे में स्तनपान कराने की दर 23.5% से बढ़कर 26.4% हो गई है।
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छह माह तक केवल स्तनपान की दर 53.5% से बढ़कर 63.3% पहुंच चुकी है।
🚩 शहरी क्षेत्रों की चुनौतियाँ:
हालांकि, अब भी 'अर्बन ब्रेस्टफीडिंग गैप' यानी शहरी क्षेत्रों में स्तनपान से जुड़ी दिक्कतें बनी हुई हैं। नौकरीपेशा महिलाओं को कार्यस्थल पर स्तनपान कराने के लिए पर्याप्त सुविधाएं नहीं मिलतीं। वहीं मलिन बस्तियों में रहने वाली महिलाएं काम पर जाते समय बच्चों को बोतल या पूरक आहार पर निर्भर छोड़ जाती हैं, जो नवजातों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है।
विशेषज्ञों के अनुसार, जन्म के पहले घंटे में दिया गया स्तनपान नवजात के लिए पहला टीका माना जाता है। माँ के शुरुआती पीले गाढ़े दूध (कोलोस्ट्रम) में अत्यंत पोषक तत्व होते हैं, जो शिशु को डायरिया, निमोनिया जैसे गंभीर रोगों से बचाते हैं और प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं।
🏥 सरकारी प्रयास:
राज्य और केंद्र सरकार द्वारा सभी सरकारी अस्पतालों में ‘बर्थ आवर ब्रेस्टफीडिंग’ सुनिश्चित किया जा रहा है। स्तनपान को बढ़ावा देने के लिए अब अधिकांश स्वास्थ्य केंद्रों में ब्रेस्टफीडिंग कक्ष भी बनाए जा रहे हैं।
साथ ही सामुदायिक जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल 1 से 7 अगस्त तक “विश्व स्तनपान सप्ताह” मनाया जाता है, ताकि माताएं स्तनपान के महत्व को समझें और इसे अपनाएं।
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