साहिबगंज का कन्हैयास्थान – वह पावन धरा, जहां द्वापर युग में पड़े थे श्रीकृष्ण के चरण
साहिबगंज: गंगा नदी के तट पर स्थित कन्हैयास्थान सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि आस्था, अध्यात्म और इतिहास का अद्भुत संगम है। जिला मुख्यालय से लगभग 25 किलोमीटर और राजमहल प्रखंड से 13 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में स्थित यह स्थान कृष्णभक्तों के लिए एक पवित्र तीर्थ माना जाता है।
श्रीकृष्ण की लीला स्थली
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण यहां आए थे। कहा जाता है कि महारास के दौरान राधा-रानी के मन में उत्पन्न द्वेष को दूर करने के लिए श्रीकृष्ण उन्हें एक गुप्त स्थल पर लाए, जिसे बाद में कन्हाई नाट्यशाला कहा गया। यहीं भगवान श्रीकृष्ण और राधा-रानी ने प्रेम की भावना प्रकट की। इसी लीला के बाद इस स्थान का नाम कन्हैयास्थान पड़ा।
यही नहीं, श्रीकृष्ण और राधा-रानी ने यहां अपने पदचिह्न भी छोड़े, जो आज भी मंदिर में सुरक्षित रूप से स्थापित हैं।
श्रीचैतन्य महाप्रभु को मिला दर्शन
हिंदू धर्मग्रंथ श्रीचैतन्य चरितामृत के अनुसार, 1505 ईस्वी में श्रीचैतन्य महाप्रभु अपने माता-पिता के पिंडदान के बाद गया से नवदीप लौटते समय कन्हैयास्थान पहुंचे थे। प्रेम विलास नामक पुस्तक में उल्लेख है कि उस समय यहां राधा-कृष्ण का भव्य मंदिर था। यहीं पर श्रीचैतन्य महाप्रभु को श्रीकृष्ण ने बाल स्वरूप में दर्शन दिए और वे भाव-विभोर होकर प्रभु से आलिंगनबद्ध हो गए।
इतिहास के साक्ष्य और चुनौतियां
कृष्ण भक्तों के अनुसार बाद में मुस्लिम आक्रमणकारियों ने इस भव्य मंदिर को ध्वस्त कर दिया। मंदिर में स्थापित राधा-कृष्ण की अष्टधातु प्रतिमा वर्ष 1994 तक मौजूद थी, लेकिन बाद में चोरी हो गई। हाल ही में गंगा नदी से श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप लड्डू गोपाल की मूर्ति मिलने पर लोगों का मानना है कि यह वही प्रतिमा है, जो करीब 20 वर्ष पहले चोरी हुई थी।
इस्कॉन का प्रबंधन और वर्तमान स्वरूप
1995 में अंतरराष्ट्रीय कृष्ण भावना मृत्त संघ (इस्कॉन) ने कन्हैयास्थान मंदिर का प्रबंधन संभाल लिया। इसके बाद यहां कई मंदिरों का पुनर्निर्माण कराया गया। वर्तमान में यहां प्रवेश द्वार, अतिथि भवन, शौचालय और ठहरने की सुविधा उपलब्ध है। गंगा तट को भी आकर्षक ढंग से सजाया गया है, जिससे यहां आने वाले भक्त और पर्यटक विशेष आध्यात्मिक अनुभव प्राप्त करते हैं।
विश्वभर के भक्तों का आगमन
आज कन्हैयास्थान न केवल भारत, बल्कि दुनिया के कई देशों के कृष्ण भक्तों का केंद्र बन चुका है। अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, वेस्टइंडीज, दक्षिण अफ्रीका, मलेशिया, जर्मनी, इटली, ब्रिटेन, यूनान, चीन, रूस, नेपाल, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से यहां भक्त सालभर आते हैं।
विशेषकर श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर यहां हजारों श्रद्धालु जुटते हैं। झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल और ओड़िशा सहित विभिन्न राज्यों से भक्त पहुंचकर इस पावन पर्व को अत्यंत धूमधाम से मनाते हैं।
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