झारखंड के ‘छूमंतर’ समेत गिरोह के 7 सदस्य पकड़े गए, पीएम रैली से भी 29 मोबाइल बरामद
झारखंड के तीनपहाड़ का राजेश उर्फ छूमंतर पलक झपकते तोड़ देता है मोबाइल का लॉक, पीएम मोदी की रैली में भी उड़ाए थे 84 मोबाइल
किसी भी मोबाइल फोन का डिजीटल लॉक पलक झपकते ही तोड़ देने में माहिर है झारखंड के साहिबगंज जिले के तीनपहाड़ का रहने वाला राजेश महतो उर्फ छूमंतर। मोबाइल लॉक तोड़ने में महारथ के कारण ही गिरोह के लोग उसे छूमंतर के नाम से भी जानते हैं।
अब तक देश के कई शहरों में मोबाइल की चोरी कर उसके लॉक को तोड़कर यूपीआइ से रूपए उड़ाने वाला यह गिरोह विगत तीन महीने से पूर्णिया में भी डेरा डाले हुए था। अब तक देश के पचास से अधिक शहरों में एक लाख से अधिक मोवाइल चोरी की घटना को अंजाम देने वाला यह गिरोह मोबाइल चोरी के बाद उसके यूपीआइ से रूपये उड़ाने के बाद चोरी के मोबाइल फोन को नेपाल एवं बांग्लादेश के एजेंटों के हाथ बेच देता था।
पूर्णिया में 15 सितंबर को पीएम मोदी की सभा के बाद जब 17 सितंबर को पुलिस ने गुप्त सूचना के आधार पर इस गिरोह के छह सदस्यों को गिरफ्तार किया तो उसके पास से 84 चोरी के मोबाइल फोन बरामद हुए। इसमें 29 मोबाइल फोन इस गिरोह द्वारा पीएम की सभा स्थल से चुराए गए थे।
बरामद कई मोबाइल फोन से इस गिरोह द्वारा चोरी के बाद यूपीआइ से रूपये भी उड़ा लिए गए थे। उसके पास से जितनी भी चोरी की मोबाइल पुलिस द्वारा बरामद की गई, सभी मोबाइल की कीमत 25 हजार से ऊपर ही थी। उसके पास से आठ सिम कार्ड और चार आधार कार्ड भी जब्त किए गए थे।
पकड़े गए साइबर ठगों में छह सदस्य झारखंड के साहिबगंज जिले के तीनपहाड़ के रहने वाले हैं, जबकि एक पश्चिम बंगाल के वर्द्धमान का रहने वाला था। इनमें मुन्ना कुमार मंडल, राजेश कुमार महतो उर्फ छूमंतर, पप्पू महतो उर्फ पप्पू नोनिया, कपूर महतो, गणेश कुमार महतो शामिल थे। कार्तिक नोनिया नाम का शातिर ठग पश्चिम बंगाल के वर्धमान जिले का है।
कई राज्यों में इस गिरोह के सदस्य जा चुके हैं जेल
पुलिस ने मोबाइल चोरी कर उसके यूपीआइ से रूपये उड़ाने वाले गिरोह के जिन सात सदस्यों को गिरफ्तार किया है। इसमें से सभी अपराधी एक बार नहीं बल्कि कई बार जेल जा चुके है। झारखंड के अलावा इनको कई राज्यों राजस्थान, उड़ीसा एवं पश्चिम बगाल में मोबाइल चोरी करने के आरोप में पुलिस गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है।
कई शहरों में इनके द्वारा नाम बदलकर तथा फर्जी आधार कार्ड बनाकर रहने का मामला भी पकड़ में आ चुका है। गिरोह के सदस्यों ने पुलिस को बताया है कि उनके द्वारा कैसे बैंकों में फर्जी कागजात के आधार पर यूपीआइ के जो पैसे उड़ाए जाते थे, दूसरा खाता खोल चोरी के मोबाइल से उसे भेजकर फिर एटीएम के माध्यम से निकाल लिया जाता था।
हर तीन महीने में अपना ठिकाना बदल लेता है
पकड़ में आने के बाद इस गिरोह के सदस्यों ने पुलिस को बताया कि वे हर तीन महीने में शहर से ठिकाना बदल लेते हैं। इसकी वजह से पुलिस को उनके कारनामे की भनक तक नहीं मिलती। पूर्णिया में भी यह गिरोह पिछले तीन महीने ये यहां डेरा जमाए हुए थे।
मोबाइल चोरी की घटना को अंजाम देने के लिए इस गिरोह द्वारा किराए पर मकान लिया गया था। जहां पर किराए का मकान लिया गया था, वहां मकान मालिक को बताया गया था कि वे कंपनी में काम करते हैं। गिरोह के सदस्यों द्वारा दिन भर भीड़-भाड़ वाले इलाकों में मोबाइल चोरी की घटना को अंजाम दिया जाता था। चोरी किए गए मोबाइल का लॉक तोड़ने के बाद यूपीआई के जरिए पैसे ट्रांसफर करता था।
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