कई एयरप्लेन में नहीं होता सीट नंबर 13, जानिए सुरक्षा कारण या अंधविश्वास है वजह
क्या आपने कभी हवाई यात्रा के दौरान ध्यान दिया है कि कुछ विमानों में सीट नंबर 13 नहीं होती? सीट नंबर 12 के बाद सीधे 14 नंबर आता है। ऐसा सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि दुनिया की कई प्रमुख एयरलाइंस में देखा जाता है। लेकिन आखिर क्यों हटाया जाता है यह नंबर — क्या इसके पीछे सुरक्षा कारण हैं या यह सिर्फ अंधविश्वास है?
दरअसल, कई संस्कृतियों में 13 नंबर को अशुभ माना जाता है। ईसाई परंपरा के अनुसार, अंतिम भोज में उपस्थित 13वां व्यक्ति यहूदा (Judas) था, जिसने यीशु मसीह से विश्वासघात किया था। इसी मान्यता से पश्चिमी देशों में “Friday the 13th” को दुर्भाग्यपूर्ण दिन माना जाने लगा। यही कारण है कि न केवल विमान कंपनियाँ, बल्कि कई होटल और ऊँची इमारतें भी 13वीं मंज़िल को छोड़ देती हैं।
लुफ्थांसा, रायनएयर और एयर फ्रांस जैसी प्रसिद्ध एयरलाइंस ने यात्रियों की भावनाओं और मान्यताओं का सम्मान करते हुए अपनी सीटिंग लिस्ट से 13 नंबर को हटा दिया है। वहीं कुछ एशियाई देशों की एयरलाइंस 4 या 17 नंबर भी नहीं रखतीं, क्योंकि स्थानीय परंपराओं में ये नंबर भी अशुभ माने जाते हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार, यह कदम सुरक्षा से अधिक मनोवैज्ञानिक आराम से जुड़ा हुआ है। उड़ान के दौरान पहले से ही तनाव में रहने वाले यात्रियों के लिए यह एक सांत्वनादायक और सकारात्मक माहौल बनाने का तरीका है।
सीट नंबर 13 का गायब होना सिर्फ अंधविश्वास नहीं, बल्कि व्यवसायिक सोच और मानवीय भावनाओं का संतुलित मेल है।
रिपोर्ट: संजय कुमार धीरज | साहिबगंज न्यूज डेस्क

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