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शीर्षक : पिता कौन है ? | रचना - अमृता तिवारी


 शीर्षक:पिता कौन है?

शीर्षक : पिता कौन है ? | रचना - अमृता तिवारी

पिता वह हस्ती है जिसके छांव में हर नाकामयाबी कामयाबी की तरफ हो जाती है

पिता वह हस्ती है जिसके होने से परिवार की मजबूती बढ़ जाती है

पिता वह हस्ती है जो खुद जलकर हमें ठंडी छांव देती है

पिता वह छुपी मूरत है जिसमें ममता अपार है

पिता है तो रोटी, कपड़ा और मकान है

वहीं खुशी,वहीं मेरा अभिमान है 

और क्या कहूँ मैं जितना लिखूं वह कम है 

नहीं समझ पा रहीं कैसे जताऊ इनका उपकार मैं, 

वो शब्द कहाँ से लाऊं जो लिख सकूँ इनके नतमस्तक में 

जो चीख खो गई थी, मैंने उसे फिर से सुना है,

मैंने उन्हें अपनों के लिए रोता देखा है

पिता के बिना जिंदगी कितनी वीरान होती है,

यह उससे पूछो जिससे, जिंदगी हर पल इम्तिहान लेती है

वह सख्त  है मुझसे, ताकि मेरी नाराजगी बर्दाश्त हो, मगर उदासी नहीं,

अब क्या कहने इनके, ये पिता हैं मेरे, इन्हे मेरी कमी बर्दाश्त नहीं

नख़रे तो अपने मैं, पूरी दुनिया को दिखती हूँ, 

जो उठाते फ़िरते हैं नखरों को मेरे, मैं उन्हें पापा बुलाती हूँ 

किताबों से मैंने नहीं सीखा, हां मैंने सिर्फ उन्हीं की राहों को पकड़ा है, 

वहीं मेरी ताकत वहीं मेरी मुस्कान, वहीं मेरी दुनिया है


 स्वरचित कविता

✍️अमृता तिवारी
  साहिबगंज महाविद्यालय, साहिबगंज

Amrita Tiwari

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