शिक्षक दिवस विशेष : ज्ञान का प्रकाश | रचना - खुशीलाल पंडित
शिक्षक दिवस विशेष : ज्ञान का प्रकाश
गुरु आप ज्ञान हो,
हमारे लिए भगवान हो।
ज्ञान बांट के अपने जीवन का,
हम छात्रों का कर रहे कल्याण हो।
बिना गुरु के गुमनाम हैं हम,
सच और झूठ से नादान हैं हम।
गुरु ही हमारे हैं पहचान ,
मां-बाप के बराबर उनका स्थान।
इतिहास गवाह है हमारा ,
गुरु बिन कोई नहीं महान ।
गुरु के चरणों में काट दिया अंगूठा,
एकलव्य जैसा कोई धनुर्धर नहीं इंसान।
गुरु अपना काम कर रहे,
अब फर्ज हमें निभाना है।
छू के आसमा की बुलंदियों को,
गुरु के मान को और अभी बढ़ाना है।
अपनी कृपा बनाए रखना हम पर,
गुरु बिन हम इस दुनिया में गुमनाम हैं।
गुरु से ही शुरू गुरु पर ही खत्म,
हमारी तो बस यही पहचान है।
स्वरचित कविता
✍️खुशीलाल पंडित
साहिबगंज महाविद्यालय साहिबगंज
साहिबगंज महाविद्यालय साहिबगंज
0 Response to "शिक्षक दिवस विशेष : ज्ञान का प्रकाश | रचना - खुशीलाल पंडित"
Post a Comment