घने जंगलों में मिली चार हजार साल पुरानी चित्रकारी : अब पर्यटन स्थल के रूप में संवारने की तैयारी
गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान के भीतर जंगल के बीच हजारों साल पुरानी भित्तिचित्र की छह नई साइट्स मिली हैं। जिसे संरक्षित कर पर्यटन स्थल के रूप में संवारने की तैयारी है। ऐसा अनुमान है कि चूने और जंगली जानवरों के खून को मिलाकर भित्तिचित्र बनाए गए हैं। जानकारी के अनुसार कोरिया जिले के बैकुंठपुर में स्थित गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान के जनकपुर एरिया में खिरकी, च्यूल, कमर्जी में मुनुकनार लामी पहाड़ बड़गांव, कटवार मसर्रा, लावाहोरी और सोनहत एरिया में लामापानी, लामलामी पहाड़ी पर भित्तिचित्र मिले हैं। उद्यान प्रबंधन ने फोटोग्राफी कराकर हेड क्वार्टर रिपोर्ट भेजी है।
हालांकि घने जंगल और रास्ता नहीं होने के कारण यहां तक पहुंच पाना बहुत कठिन है।
जांच के बाद होगा खुलासा
घने जंगल के बीच पहाड़ी चट्टानों पर सदियों पहले भित्तिचित्र बनाए गए हैं। जंगल में चूने का काफी भण्डार है। ऐसा अनुमान है कि चूने और जंगली जानवरों के खून को मिलाकर इन्हें उकेरा गया है। हालांकि पुरातत्व की जांच में चित्रकारी की स्थिति स्पष्ट होगी। फिलहाल चिह्नित 18 पॉइंट को संवारने और सैलानियों को खींचने की कवायद शुरू कर दी गई है।
क्या कहते हैं उद्यान के संचालक
गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान के संचालक आर. रामाकृष्णा के अनुसार गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान में छह नई भित्तिचित्र की साइट्स मिली हैं। इससे पहले 18 पॉइंट का चिह्नांकन किया जा चुका है। भित्तिचित्र को लेकर बुक का प्रकाशन हुआ है। जिनको पर्यटन के रूप में विकसित किया जाएगा।
बता दें की गुरू घासीदास राष्ट्रीय उद्यान बैकुंठपुर, जिला कोरिया के बैकुंठपुर सोनहत मार्ग पर 5 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है। इसकी स्थापना सन् 2001 में की गई थी। इसके पूर्व यह राष्ट्रीय उद्यान संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान, सिधी मध्य प्रदेश का भाग था।
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