सिनेमा की बातें 'हेरा फेरी" 1 से 3 तक, प्रिक्वल और सिक्वल
मनोरंजन
'हेरा फेरी' हिंदी सिनेमा की कल्ट क्लासिक फिल्म मानी जाती है।
सिनेमा के शौकीन लोगों ने जितनी मुहब्बत हेरा फेरी फ्रेंचाइजी को दी है, उतनी मुहब्बत शायद ही किसी फिल्म को मिली हो। बॉक्स ऑफिस पर हिट हुई इस फिल्म ने कई लोगो का करियर बदल कर रख दिया था। प्रियदर्शन को स्टारडम मिला और उसके बाद उन्होंने ढेरो कॉमेडी फिल्में बनाई, कुछ हिट हुई कुछ फ्लॉप, पर उन फिल्मों के किरदार, उनके सीन आज भी लोगो के दिल में एक खास जगह बनाए हुए है।
अक्षय कुमार एक्शन हीरो की इमेज से बाहर निकल पाए हेरा फेरी की वजह से, और परेश रावल के लिए ये उनके करियर का सबसे आइकॉनिक रोल बन गया। परेश रावल के मुताबिक सुनील शेट्टी इस फ्रेंचाइजी के अकेले एक्टर थे जो दूसरे पार्ट में लाउड नही हुए थे और अपने कैरेक्टर की मासूमियत बचाए रखने में कामयाब रहे।
बीहेरा फेरी ने प्रियदर्शन को कितना बड़ा स्टार बनाया था, इसे आप सिर्फ इस बात से समझ लीजिए कि उनकी डायरेक्ट की हुई दो फिल्में 'क्योंकी (सलमान खान, करीना कपूर, जैकी श्रॉफ) और 'गरम मसाला' (परेश रावल, अक्षय कुमार, जॉन अब्राहम) एक ही दिन रिलीज हुई थी। इसके तीन महीने बाद 'मालामाल वीकली' रिलीज हुई।
यानी तीन महीने में एक ही निर्देशक की तीन फिल्में रिलीज हुई, मेरी जानकारी में ऐसा किसी डायरेक्टर ने अभी तक नही किया होगा। हां ये अलग बात है कि ये तीनों में से दो फिल्में प्रियदर्शन की ही मलयाली फिल्म (गरम मसाला बोइंग बोइंग और क्युकी थलावट्टम) की रिमेक थी। 'मालामाल वीकली' की रिलीज के वक्त प्रियदर्शन ने तो बकायदा इनाम घोषित किया था कि अगर कोई साबित कर दे कि मालामाल वीकली रिमेक है। उन्होंने उस वक्त दावा किया या कि अब वो रिमेक नही बनाएंगे पर दावे पर कायम रह नही पाए।
मलयालम सिनेमा की कई कल्ट क्लासिक जब हिंदी में बनी तो दर्शको ने बहुत पसंद किया, जिसमें सबसे बड़ा नाम 'हेरा फेरी' का है। कुछ लोग ये मानते हैं कि मलयालम फिल्म ज्यादा बेहतर थी परफॉर्मेंस के मामले में, मैं इस बात से रिलेट इसलिए नही कर पाता, क्योंकि मलयालम लैंग्वेज के स्लैंग वगैरह से उतना वाकिफ नहीं हूं, इसलिए मैं मलयालम फिल्म में एक्टर्स की परफॉर्मेंस जज करने लायक नही हूं। खैर,
जब प्रियदर्शन ने इन फिल्मों का रिमेक किया था, तो ये चीज समझी जा सकती है कि एक कहानी और बेहतर तरीके से ज्यादा दर्शको के बीच में पहुंचाई जाए, साउथ और हिंदी सिनेमा एक दूसरे की फिल्मों के रिमेक हमेशा से बनाते रहे है, ये कोई नई बात नही है। बस एक बात ये नही समझ आती कि इतने संसाधन होने के बावजूद ये लोग रिमेक से आगे बढ़ क्यों नही पाते। अगर हिंदी सिनेमा वाले चाहते तो कुछ नया और फ्रेश दर्शको के बीच में रख सकते थे, पर अब भी लोग रिमेक पर रिमेक बनाए जा रहे हैं, जिसका कोई तुक नहीं बनता। प्रियदर्शन की फिल्मों के तीन किरदारों का मैं स्पिन ऑफ देखना बहुत वक्त से चाहता हूं, और ये ऐसे किरदार हैं जो सच में अपनी फिल्म में बहुत मनोरंजक और बहुत इमोशनल साबित होंगे।
स्पिन ऑफ की मेरी किसी भी लिस्ट में टॉप पर कोई होगा, तो वो है बाबूराव गणपत राव आप्टे। बाबू राव के किरदार में जितनी डेप्थ है, जितने रंग हैं, वो बहुत कम किरदारों में होते थे। अभी जब हेरा फेरी 3 के लिए तमाम बाते चल रही है, अगर मेकर चाहते तो इस दौरान बाबू राव का स्पिन ऑफ बनाकर इस यूनिवर्स को एक्सपैंड कर सकते थे। बाबू राव के स्पिन ऑफ में परेश रावल नहीं, किसी नए और टैलेंटेड एक्टर को लिया जाना चाहिए, हम जितना जानते हैं, उस हिसाब से बाबू राव शायद कोल्हापुर का रहने वाला है, उसने एक सीन में कहा भी है कि मेरे बाप की जमीन है कोल्हापुर में, उसका बाप भी उसके जैसा शराबी ही था, राजू और श्याम बाबू राव की लाइफ में बहुत बाद में आए पर उसके पहले की जिंदगी कैसी थी, बाबू राव की ये देखना बहुत दिलचस्प होगा।
उसने शादी क्यों नहीं की, उसे दारू की लत कब से लगी, उसका स्टार गैराज कब शुरू हुआ और बंद क्यों हुआ? क्या बाबू राव के पास इससे पहले भी किराएदार थे? उनके और बाबू राव के बीच में क्या केमिस्ट्री रही होगी। बाबू राव इतना डरा- डरा क्यों रहता है, बहुत सारी चीजें हैं जो इस किरदार को लेकर लिखी जा सकती है, बस जरूरत है की इस किरदार की जिंदगी को इमानदारी से लिखा जाए और किसी टैलेंटेड नए एक्टर को मौका मिले इस आइकॉनिक किरदार को अपने तरीके से दिखाने का। और ये सब दिखा पाना वेब सिरीज में ही मुमकिन है।
सिनेमा में जोड़ियां हमेशा पसंद की जाती रही है, मुन्ना भाई और सर्किट तो है ही इसकी मिसाल, पर प्रियदर्शन की फिल्म 'चुपके - चुपके' में परेश रावल और राजपाल यादव की जोड़ी के स्पिन ऑफ में बहुत संभावनाएं हैं। एक तो दोनों का किरदार बहुत फनी और बहुत रियल है, परेश रावल का किरदार जहां उम्र में बड़ा है और थोड़ा प्रैक्टिकल है, वो अपना गला बचाने के लिए किसी को भी फंसा सकता है,
तो वहीं राजपाल यादव का किरदार मासूम और बेवकूफ है जो अपने आप को हर बार मुसीबत में फंसा लेता है। परेश रावल का कैरेक्टर राजपाल यादव से कैसे मिला, इन दोनों की लाइफ पहले कैसी थी, परेश रावल कैसे इतना कर्जे में आया, इस पर भी वेब सिरीज बनाई जा सकती है, या फिर 'चुपके चुपके' के बाद इन दोनों का क्या हुआ, इनकी जिंदगी कैसी रही? ये सब देखना भी बहुत दिलचस्प होगा।
प्रिकवल और सिक्वल दोनों में बहुत संभावनाएं है। हिंदी सिनेमा प्रेमियों को अगर चले चलाए मसाले पर ही पैसे लगाने हैं तो उन्हें ऐसी कहानियों पर लगाना चाहिए, जो दर्शकों के दिल के करीब हो। ये किरदार किसी नए और टैलेंटेड एक्टर के लिए गेम चेंजिंग साबित हो सकते हैं।
रिमेक पहले चल जाते थे। पर अब, जब लोग सबटाइटल से देखना सीख चुके हैं, तब इस तरह के प्रोजेक्ट में पैसा लगाने से कहीं बेहतर है कि दर्शको को वो दिया जाए, जो वो देखना चाहते हैं।
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