"यादों के झरोखों से" सचिन तेंदुलकर : अंतरराष्ट्रीय एकदिवसीय क्रिकेट में दोहरा शतक लगाने वाले पहले खिलाड़ी, जब सचिन दोहरे शतक के पास पहुंचे तो दूसरी छोर पर उस समय भारतीय टीम के कप्तान धोनी बलीबाजी कर रहे थे


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अंतरराष्ट्रीय एकदिवसीय क्रिकेट में दोहरा शतक लगाने वाला पहला खिलाड़ी, सचिन तेंदुलकर! 

"यादों के झरोखों से" सचिन तेंदुलकर : अंतरराष्ट्रीय एकदिवसीय क्रिकेट में दोहरा शतक लगाने वाले पहले खिलाड़ी, जब सचिन दोहरे शतक के पास पहुंचे तो दूसरी छोर पर उस समय भारतीय टीम के कप्तान धोनी बलीबाजी कर रहे थे


मुझे आज भी याद है आसान नही था वो प्रदर्शन, वह भी दक्षिण अफ्रीका जैसी मजबूत गेंदबाजों के खिलाफ। जिस टीम में डेल स्टेन, वेन पर्नेल, जैक कैलिस जैसे धाकड़ गेंदबाज़ हों, उस टीम के खिलाफ 147 गेंद पर नाबाद 200 रनों की पारी खेलकर सचिन रमेश तेंदुलकर ने यह सिद्ध कर दिया था की वे अपने समय में एकदिवसीय क्रिकेट के बेताज शहंशाह हैं।

याद रहे की यह मैच भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच सन 2010 में 24 फरवरी को खेला गया था। यह सीरीज का दूसरा मैच था। भारत ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी का निर्णय लिया। सचिन ने सतर्क शुरुआत की, लेकिन चौथे ओवर में वीरेंद्र सहवाग ने अपना विकेट गँवा दिया। 

फिर सचिन का साथ देने आए दिनेश कार्तिक। लेकिन सचिन आज जैसे कुछ ठान कर आए थे। सचिन के बल्ले को छूकर निकलने वाली हर गेंद को जैसे पहले से ही पता था कि बाउंड्री किस ओर से जाना है। लगभग 37 साल की उम्र में भी सचिन किसी युवा बल्लेबाज की तरह 22 गज की पिच पर थिरक रहे थे। सचिन का फुटवर्क, शॉट खेलने की पोजीशन, गैप खोजने की अद्भुत क्षमता जैसे अपने चरम पर थी। 

वैसे भले ही सचिन कितना भी बेहतर खेल रहें हों, ये उम्मीद तो शायद ही किसी ने किया होगा कि सचिन आज दोहरा शतक लगाने वाले हैं। वैसे कुछ महीने पहले ही सचिन ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 175 रनों की एक ऐसी पारी खेली थी कि जिसने दुनिया के बड़े - बड़े क्रिकेट पंडितों को भी चकाचौन्ध कर दिया था। उस दिन भी सचिन कुछ ऐसे ही फॉर्म में थे।    

एक के बाद एक शानदार शॉट खेलकर सचिन ने मात्र 90 गेंदों में अपना शतक पूरा किया और तब सचिन ने आक्रमण करना प्रारंभ किया। सचिन ने कला के साथ - साथ ताक़त का प्रयोग भी किया और कई ऐसे भी शॉट खेले, जहाँ सचिन ने सिर्फ अपनी ताक़त के दम पर गेंद को सीमा रेखा के पार पहुँचा दिया। सचिन ने अगले 28 गेंदों में 50 रन कूट डाले और अपने 150 रन भी पूरे किए। 

यहाँ से कुछ ऐसे पल भी आए, जब ऐसा लगा कि उम्र अब आड़े आ रहा है, लेकिन सचिन ने कोई रनर नही लिया। माँसपेशियों में खिंचाव के बावजूद भी सचिन की एकाग्रता और ध्यान में किसी भी प्रकार की कमी नही आई। जब सचिन दोहरे शतक के पास पहुँचे तो दूसरी छोर पर उस समय के सबसे बेहतरीन एकदिवसीय बल्लेबाज में से एक भारतीय टीम के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी बल्लेबाजी कर रहे थे और बड़ी निर्ममता से अफ्रीकी गेंदबाजों की पिटाई कर रहे थे, लेकिन सभी क्रिकेट प्रेमियों की निगाहें सचिन पर ही टिकी थी। 


36 साल के सचिन पूरी पारी में नाबाद रहे और आखिरी ओवर में अपना दोहरा शतक पूरा किया था। उन्होंने इस मैच में लगभग चार घंटे तक लगातार बल्लेबाजी की थी। सचिन की यह पारी इतिहास के पन्नों में हमेशा दर्ज रहेगी।

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