अभिव्यक्ति की आजादी को इतनी स्वतंत्रता न दीजिए“, कवि सुबोध कुमार झा की कलम स
ओछी राजनीति में मूर्खता न कीजिए;
किसी के बहकावे में धूर्तता न कीजिए;
सनातन सत्य भारत का बहुमत आधार;
तिरस्कृत हो जाए इतनी धर्मनिरपेक्षता न कीजिए।
संवेदनशील मसलों पे संवेदनहीनता न कीजिए;
वोट के नाम पर ओछी धर्मनिरपेक्षता न कीजिए;
समरस समाज ही परम वैभव का मार्ग है मगर;
अभिव्यक्ति की आज़ादी को इतनी स्वतंत्रता न दीजिए।
सुबोध झा
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