मां वाणी वंदना... स्वरचित वंदना प्रो.सुबोध कुमार झा


 मां वाणी वंदना..!

मां वाणी वंदना... स्वरचित वंदना  प्रो.सुबोध कुमार झा

हे वागीश्वरी! मां शारदे!

एक ज्ञानपुंज उधार दे;

विद्या की देवी ये वर दे,

अज्ञानता को उतार दे।

वागीश्वरी ---


सुख शांति,अमृतवाणी से,

समृद्ध बनूँ ये विचार दे; 

सेवा करूँ मैं भाव से, 

ऐसा मुझे संसार दे।

वागीश्वरी -----


है तिमिर में ये जिन्दगी,

माँ मुझको आके तार दे;

तू भावों की है तरंगिणी,

भटके को आके प्यार दे।

वागीश्वरी ------


गोदी में आकर हम पले,

भाव ऐसा हो बस मान दे;

कला,ज्ञान बस बढ़ता रहे,

ऐसा मुझे वरदान दे।

वागीश्वरी ------


करता रहूँ सेवा तेरी,

संगीतमय तू प्रकाश दे;

लौ बनूँ मैं तेरी ज्योति का,

ऐसा मुझे कुछ आश दे।

वागीश्वरी -------


धरा से लेकर व्योम तक,

तेरा नाम लूँ ऐसी भक्ति दे;

कुछ नाम हो जग में मेरा,

मुझको ऐसी शक्ति दे।

हे वागीश्वरी मां शारदे ----



स्वरचित वंदना

प्रो.सुबोध कुमार झा

साहिबगंज,झारखंड

0 Response to "मां वाणी वंदना... स्वरचित वंदना प्रो.सुबोध कुमार झा"

Post a Comment

साहिबगंज न्यूज़ की खबरें पढ़ने के लिए धन्यवाद, कृप्या निचे अनुभव साझा करें.

Iklan Atas Artikel

Iklan Tengah Artikel 2

Iklan Bawah Artikel