अपने बच्चों के हाथों से गौ सेवा कराएं, अगर घर में गौ नहीं है तो गौशाला में जाकर गौ सेवा करें


अपने बच्चों के हाथों से गौ सेवा कराएं, अगर घर में गौ नहीं है तो गौशाला में जाकर गौ सेवा करें, लेकिन गौ माता का पालन–पोषण अवश्य करें : कथा वाचिका किशोरी साक्षी

अपने बच्चों के हाथों से गौ सेवा कराएं, अगर घर में गौ नहीं है तो गौशाला में जाकर गौ सेवा करें, लेकिन गौ माता का पालन–पोषण अवश्य करें : कथा वाचिका किशोरी साक्षी

साहिबगंज : अपने बच्चों के हाथों से गौ सेवा कराएं, अगर घर में गौ नहीं है तो गौशाला में जाकर गौ सेवा करें, लेकिन गौ माता का पालन–पोषण अवश्य करें। उक्त बातें कथा वाचिका किशोरी साक्षी ने भक्तों को संबोधित करते हुए कहीं।

उन्होंने कहा कि आजकल का व्यक्ति कसाई की तरह हो गया है। गाय जब तक दूध देती है, मनुष्य तब तक गाय को घर में रखता है। जब गाय दूध देना बंद कर देती है तो उसे सड़कों पर छोड़ दिया जाता है या बेच दिया जाता है।

अपने स्वार्थ सिद्धि के उपरांत गाय को छोड़ देना पाप है और गौ हत्या महापाप है। सड़क दुर्घटना में गौ हत्या भी पाप है। गृहस्थ जीवन में महिलाएं आज भी पहली रोटी गाय के लिए और अंतिम रोटी कुत्ता के लिए रखती हैं।

शहर के रेलवे जेनरल इंस्टीट्यूट, टॉकीज मैदान में स्थित मां तारा मंदिर परिसर में देवी कथा के आठवें दिन शुक्रवार को प्रसिद्ध कथा वाचिका किशोरी साक्षी ने कहा कि अपने जन्मदिन पर पौधारोपण अवश्य करें, पर्यावरण संतुलन के लिए पौधारोपण आवश्यक है।

शहरवासी पेड़ काटकर घर बना रहे हैं, इसीलिए शहरों में हरियाली गायब है। कथा वाचिका किशोरी साक्षी ने कहा कि माता भगवती ही हर कार्य को करती हैं। मां जगदम्बा के बिना कोई कार्य सफल नहीं हो सकता है। कोई भी पत्नी स्वयं का अपमान सहन कर सकती हैं,

लेकिन पतिव्रता स्त्री अपने पति का अपमान कभी नही सहती और न ही अपने पति का अपमान करती हैं। पत्नी के लिए पति का वियोग सबसे बड़ी पीड़ा होती है। विरह की अग्नि काफी कठिन होती है। पति का वियोग अति कठिन है।

माता सती जिस अग्नि में जली, वो विरह की अग्नि थी। भगवती सती अपने पति शिव शंकर के सम्मान में अपने पिता के विरुद्ध खड़ी हुई थी। उन्होंने कहा कि घर के सभी सदस्य मिलकर रहें, घर के किसी भी सदस्य के बारे में उल्टा–पुल्टा बोलने पर हां में हां न मिलाएं, जो फूट डालने की कोशिश करे, उसका जवाब देकर उसे तुरंत नकारें।

जहां देवी की कथा होती है, वह स्थल पवित्र जगह बन जाती है। मां भगवती आनंद रूपिणी हैं। सभी देवी–देवता एक समान हैं, इसीलिए सभी का पूजन करें। जगत जननी मां जगदम्बा सब का कल्याण करें। भजन–कीर्तन और कथा से खुद को जोड़ें। जो कथा सुनते हैं, उन्हें अपने जीवन में आत्मसात करें। मईया का नाम जपते रहें। उन्होंने कहा कि जीव बलि से माता कभी खुश नहीं होती। भक्ति करने से उसका फल अवश्य मिलता है।

साहिबगंज से संजय कुमार धीरज

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