हिंदू धर्म रक्षा मंच ने झारखंड के मुख्यमंत्री को RSS शाखा में निमंत्रण
हिंदू धर्म रक्षा मंच ने झारखंड के मुख्यमंत्री को आरएसएस की शाखा में आने का दिया निमंत्रण, कहा : संघ के कार्यकर्ताओं का कर लें अवलोकन, भ्रम दूर हो जाएगा
राजमहल साहिबगंज - मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा आरएसएस पर दिए गए कथित टिप्पणी पर हिंदू धर्म रक्षा मंच के केंद्रीय अध्यक्ष संत कुमार घोष ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखा में आने का आमंत्रण दिया है।
उन्होंने लिखित बयान जारी करते हुए कहा है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को एक बार संघ की शाखा में अवश्य आना चाहिए और आरएसएस के विषय में जानकारी प्राप्त करनी चाहिए, इससे उनका भ्रम दूर हो जाएगा। संत कुमार घोष ने मुख्यमंत्री को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विषय पर बोलने से पहले संघ के कार्यकर्ताओं का अवलोकन करने की सलाह दी।
संत ने स्वीकार किया की आरएसएस के कार्यकर्ता आदिवासी समाज के बीच जाकर कार्य करते हैं। उन्होंने कहा कि हम जैसे आरएसएस के कार्यकर्ता एवं अन्य संगठनों के लोग भी आदिवासी समाज के बीच कार्य करते हैं, इसका मतलब यह नहीं कि हम गलत काम करते हैं।
आरएसएस आदिवासी समाज की सुसंस्कृत संस्कृति, निश्चल स्वभाव, पवित्र सभ्यता एवं उनके अस्तित्व की रक्षा के लिए कार्य करती है, न की आदिवासियों को बहलाने, फुसलाने और बरगलाने का काम करती है।
उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि आरएसएस आदिवासी समाज के बीच में पश्चिमी सभ्यता वाले चुम्मा (चुंबन) प्रतियोगिता जैसा कार्यक्रम का आयोजन नहीं करता है, लेकिन आपके कार्यकर्ता और जेएमएम पार्टी के लोग ऐसी पश्चिमी सभ्यता वाले कार्यक्रमों को बढ़ावा देने वाले आयोजन करते हैं।
संत ने आरोप लगाते हुए कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने जिस पवित्र वीर शहीद सिद्धो–कान्हू के जन्म स्थली (भोगनाडीह, बरहेट) से अपना बयान जारी किया है, उसी वीर शहीद के जन्म स्थली में विगत वर्ष वीर शहीदों की प्रतिमाएं तोड़ी गईं और उनके वंशजों के साथ मारपीट एवं अत्याचार किया गया,
लेकिन जेएमएम पार्टी के ही लोगों ने वीर शहीदों के वंशजो के साथ मारपीट करने वालों को संरक्षण दिया। राज्य के मुखिया होने के नाते ऐसे घिनौने अत्याचार पर आपको ध्यान देना चाहिए था, पर आपने या आपकी पार्टी एवं संगठन के लोगों ने ऐसा कुछ नहीं किया।
हिंदू धर्म रक्षा मंच के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि हेमंत सोरेन की सरकार ने कभी भी आदिवासी समाज को संरक्षण नहीं दिया, बल्कि उनकी संस्कृति और सभ्यता को तोड़ने का हमेशा प्रयास किया। बरहेट में शहीदों की जन्मस्थली के आसपास विशेष समुदाय द्वारा जमीन पर कब्जा एवं अत्याचार किए जाते हैं और सरकार खामोश रहरी है। इसका जवाब आने वाले विधानसभा चुनाव में राज्य के आदिवासी समाज के लोग देंगे।
साहिबगंज से संजय कुमार धीरज
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