सुप्रीम कॉर्ट का अहम आदेश, शिक्षा के क्षेत्र में अब शरणार्थी रोहिंग्या बच्चों को मिलेगा समान अधिकार


सुप्रीम कॉर्ट का अहम आदेश, शिक्षा के क्षेत्र में अब शरणार्थी रोहिंग्या बच्चों को मिलेगा समान अधिकार

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एक अहम आदेश देते हुए कहा है कि शिक्षा के क्षेत्र में किसी भी बच्चे के साथ भेदभाव नहीं किया जाएगा। कोर्ट ने आगामी सप्ताह में एक याचिका पर सुनवाई तय की है, जिसमें दिल्ली और केंद्र सरकार से यह निर्देश देने की मांग की गई है कि वे शरणार्थी रोहिंग्या परिवारों को सरकारी स्कूलों और अस्पतालों तक पहुंच प्रदान करें।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने कहा कि न्यायालय यह जानने की कोशिश करेगा कि रोहिंग्या परिवार कहाँ रह रहे हैं, उनके रहने की जगह और उनका विवरण क्या है? रोहिंग्या मानवाधिकार पहल की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कोलिन गोंजाल्विस ने अदालत में बताया कि इन शरणार्थियों के पास यूएनएचसीआर (संयुक्त राष्ट्र उच्चायुक्त) के कार्ड हैं, जिससे उनकी पहचान साबित होती है।    

वहीं, गोंजाल्विस ने अदालत से कुछ समय मांगा है, ताकि वह अधिक जानकारी और ब्यौरा प्रस्तुत कर सकें। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 10 दिन बाद तय की है, और इससे पहले अदालत ने एनजीओ से यह भी कहा था कि वह रोहिंग्या शरणार्थियों के बसे हुए स्थानों और उपलब्ध सुविधाओं के बारे में हलफनामा दाखिल करें।  

गोंजाल्विस के अनुसार, रोहिंग्या शरणार्थियों को सरकारी स्कूलों और अस्पतालों तक पहुंच से वंचित किया गया है, क्योंकि उनके पास आधार कार्ड नहीं है। हालांकि, उनके पास यूएनएचसीआर कार्ड हैं, जो उनकी शरणार्थी स्थिति को प्रमाणित करता है।

Sanjay

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