'AI' पर पहली Phd कर झारखंड के डॉ. बिंग बिक्रम बिरुली ने रचा इतिहास, "हो" समाज की ऐतिहासिक उपलब्धि
झारखंड के कोल्हान सदर प्रखंड अंतर्गत राजस्व ग्राम बड़कुंडिया के मूल निवासी डॉक्टर बिंग बिक्रम बिरुली ने इतिहास रच दिया है। भुवनेश्वर स्थित किस डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटी के स्वदेशी ज्ञान, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी स्कूल (कंप्यूटर विज्ञान विभाग) में उन्होंने कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर आधारित शोध कार्य सफलतापूर्वक पूरा कर पीएचडी की उपाधि प्राप्त की है।
उन्होंने सफलतापूर्वक अपने पी.एच.डी. ओपन डिफेंस विवा-वॉस पूरा किया है। उनका शोध विषय “हो भाषा के संरक्षण हेतु कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) की पहचान का अनुप्रयोग” रहा है, जो उन्होंने स्कूल ऑफ़ इंडिजिनस नॉलेज, साइंस एंड टेक्नोलॉजी के.आई.एस.एस. डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटी, भुवनेश्वर में डॉ. यसोबंत दास और डॉ. सत्य रंजन दास के निर्देशन में पूरा किया।
यह ऐतिहासिक शोध कार्य हो समाज में कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर पहला पी.एच.डी. है। डॉ. बिरूली ने एआई का उपयोग कर आदिवासी भाषाओं के संरक्षण और प्रोत्साहन की दिशा में उल्लेखनीय कार्य किया है, विशेषकर हो भाषा के संदर्भ में।
उन्होंने हो भाषा के लिए पहला ऑटोमैटिक स्पीच रिकग्निशन डेटासेट तैयार किया, जो अब तक किसी भी मंच पर लो-रिसोर्स अथवा आदिवासी भाषाओं के लिए उपलब्ध नहीं था। यह अनूठा योगदान हो समाज के लिए एक बड़ा मील का पत्थर है और आज के डिजिटल युग में अन्य आदिवासी भाषाओं में एआई के प्रयोग हेतु प्रेरणादायक उदाहरण प्रस्तुत करता है।
यह शोध दर्शाता है कि कैसे टेक्स्ट कॉर्पस और स्पीच रिकग्निशन जैसी एआई तकनीकें हो भाषा के संरक्षण में सहायक हो सकती हैं तथा इसके लिए नवाचारपूर्ण समाधान और व्यावहारिक उपकरण प्रदान कर सकती हैं, जिससे इस समृद्ध भाषाई परंपरा की स्थिरता सुनिश्चित हो सके।
इस अवसर पर, डॉ. बिरूली ने के.आई.आई.टी. और के.आई.एस.एस. के संस्थापक प्रो. (डॉ.) अच्युत सामंत, विश्वविद्यालय परिवार, अपने परिवारजनों और शुभचिंतकों के प्रति इस अद्वितीय सफलता में मिले सहयोग और आशीर्वाद के लिए हृदय से आभार व्यक्त किया।
राजमहल मॉडल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. रणजीत कुमार सिंह व साहिबगंज कॉलेज के डॉ. अनिल कुमार सिंह ने बुरुली को बधाई देते हुए कहा कि निश्चित रूप से यह उपलब्धि झारखंड सहित पूरे देश के लिए गौरव का पल है।
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