क्या है दशहरे का नीलकंठ से संबंध?, अब क्यों नहीं दिखते नीलकंठ
साहिबगंज : देश राज्यों समेत साहिबगंज में भी दशहरा यानी विजयादशमी का पर्व बड़े धूमधाम से मनाया जा रहा है। यह दिन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है। मान्यता है कि इसी दिन भगवान राम ने अधर्मी रावण का वध किया था।
विजयादशमी को न सिर्फ रावण पर विजय के रूप में देखा जाता है, बल्कि धार्मिक दृष्टि से इस दिन नीलकंठ पक्षी के दर्शन का भी विशेष महत्व है। कहा जाता है कि नीलकंठ पक्षी भगवान शिव के अवतार हैं। इस दिन उसके दर्शन मात्र से जीवन में सुख-समृद्धि आती है और सभी प्रकार के पाप और कष्ट दूर होते हैं।
विजयदशमी के दिन भगवान राम को ब्रह्म हत्या का पाप लगा था, क्योंकि रावण ब्राह्मण था। उस पाप से मुक्ति पाने के लिए भगवान शिव ने नीलकंठ पक्षी का रूप धारण किया। भगवान राम ने जब नीलकंठ पक्षी के दर्शन किए तो उनका ब्रह्म हत्या का पाप समाप्त हो गया।
विजयादशमी के दिन जो भी लोग नीलकंठ पक्षी का दर्शन करते हैं, उनके जीवन से पाप और संताप दूर हो जाते हैं और जीवन में केवल शुभता का प्रवेश होता है। महादेव के भक्त इस दिन विशेष रूप से कैलाश पर्वत या महाकाल के दर्शन करते हैं और कहा जाता है
कि नीलकंठ रूप में भगवान शिव के दर्शन से जीवन में सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है। परंतु आज के समय में प्रदूषण और प्राकृतिक कारणों से नीलकंठ पक्षी को देख पाना मुश्किल हो गया है। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है।
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