"दीपों से सजे सबका घर-बार – लक्ष्मी घर आए सबके द्वार" प्रोफेसर सुबोध झा रचित कविता


"दीपों से सजे सबका घर-बार – लक्ष्मी घर आए सबके द्वार" प्रोफेसर सुबोध झा रचित कविता

समस्त भारत भारतीय को दीपोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएँ

दीपों से सजे सबका घर-बार,

लक्ष्मी  घर  आए सबके  द्वार,

सौहार्दपूर्ण हो सबका तन मन,

ऐसी हो दिवाली बस इसबार।


अंगारों  पर  यह देश खड़ा है,

देश से  ज्यादा  स्वार्थ बड़ा है,

विरोध के लिए विरोध करता,

अपने में  ही सब लड़े पड़ा है।


जो  समझते  नहीं  हैं रिश्ते;

वे बिकते हैं बस सस्ते-सस्ते;

पर वे जो  रिश्ते को समझते;

कटे जीवन बस हँसते-हँसते।


सबके घर  बस धन बरसे,

सबके तन  मन बस हरषे,

ऐसा हो बस अपना भारत,

कोई भी रोटी को ना तरसे।


आओ  जगमग  दीप जलाएँ,

चहूँओर शांति ज्योत फैलाएँ,

मिटे  तिमिर   फैले उजियारा,
समृद्ध बने  यह  देश हमारा


रिपोर्ट: संजय कुमार धीरज | साहिबगंज न्यूज डेस्क

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