अब क्यों नहीं रहा वेस्टइंडीज क्रिकेट का खौफ? नेपाल जैसी टीमों से भी हार रही कैरिबियाई टीम


अब क्यों नहीं रहा वेस्टइंडीज क्रिकेट का खौफ? नेपाल जैसी टीमों से भी हार रही कैरिबियाई टीम

कभी वेस्टइंडीज क्रिकेट टीम का नाम सुनकर बड़े से बड़े बल्लेबाज और गेंदबाज कांप उठते थे। 70 और 80 के दशक में उनकी तूफानी गेंदबाजी और विस्फोटक बल्लेबाजी ने क्रिकेट जगत में खौफ का माहौल बनाया। लेकिन वक्त बदल गया है। अब वही वेस्टइंडीज टीम नेपाल जैसी उभरती टीमों के सामने भी संघर्ष कर रही है और हार का स्वाद चख रही है।

गौरवशाली अतीत
वेस्टइंडीज की टीम सर विवियन रिचर्ड्स, सर गेरी सोबर्स, सर क्लाइव लॉयड, सर फ्रैंक वारेल जैसे महान खिलाड़ियों की विरासत रही है। इन दिग्गजों ने वेस्टइंडीज को वह ऊंचाई दी थी, जहां टीम को अजेय माना जाता था। यही वजह थी कि कई खिलाड़ियों के नाम के आगे ‘सर’ का सम्मान जुड़ा।

धीरे-धीरे आई गिरावट
90 के दशक के बाद से कैरिबियाई टीम की धार कमजोर पड़ने लगी। टीम में न तो पुराने जमाने जैसा अनुशासन रहा और न ही उतनी प्रतिभा दिखी। 2016 का टी20 वर्ल्ड कप खिताब जीतने के बाद लगा था कि टीम फिर से वापसी करेगी, लेकिन वह उम्मीद ज्यादा दिनों तक कायम नहीं रह सकी।

आज की स्थिति
अब आलम यह है कि वेस्टइंडीज को न केवल बड़ी टीमों से बल्कि नेपाल जैसी नई टीमों से भी हार का सामना करना पड़ रहा है। यह स्थिति इस बात की गवाही देती है कि कैरिबियाई क्रिकेट को तुरंत संरचनात्मक बदलाव की जरूरत है।

भविष्य की उम्मीद
पूर्व महान खिलाड़ी भले ही आज की हालत देखकर निराश हों, लेकिन क्रिकेट में उत्थान और पतन एक सतत प्रक्रिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि कैरिबियाई क्रिकेट बोर्ड सही रणनीति और योजनाओं पर अमल करे तो वेस्टइंडीज फिर से अपने सुनहरे दिनों की ओर लौट सकता है।


रिपोर्ट: संजय कुमार धीरज | साहिबगंज न्यूज डेस्क

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