भारत में तेजी से वायरल हो रही ‘डार्क स्टोर्स’ की दुनिया, आपकी खरीदारी अब पड़ोस से नहीं, परछाई से आ रही है


भारत में तेजी से वायरल हो रही ‘डार्क स्टोर्स’ की दुनिया, आपकी खरीदारी अब पड़ोस से नहीं, परछाई से आ रही है

भारत में इन दिनों एक नई तकनीकी क्रांति चर्चा का विषय बनी हुई है — ‘डार्क स्टोर्स’। नाम भले रहस्यमय लगे, लेकिन ये आधुनिक ऑनलाइन शॉपिंग का सबसे तेज़ इंजन बन चुके हैं।

दरअसल, डार्क स्टोर एक छिपा हुआ सुपरमार्केट होता है, जो आम जनता के लिए खुला नहीं रहता। ये स्टोर सिर्फ ऐप के ऑर्डर को पूरा करने के लिए बनाए जाते हैं। जैसे ही आप ब्लिंकिट, जोमैटो या स्विगी इंस्टामार्ट जैसे ऐप्स पर ऑर्डर करते हैं, वह सीधे इसी स्टोर में पहुंचता है।

अंदर कर्मचारियों या ऑटोमेटेड सिस्टम की टीम रोबोट जैसी स्पीड में काम करती है — सेकंडों में सामान उठता है, पैक होता है और कुछ ही मिनटों में आपकी डोरबेल बज जाती है।

डार्क स्टोर्स की सबसे बड़ी खासियत है इनकी रणनीतिक डिज़ाइन — जहां सबसे ज्यादा मांग वाले प्रोडक्ट्स को आगे रखा जाता है ताकि पिकर को बस 20–30 सेकंड में ऑर्डर तैयार करने में मदद मिले। यही वजह है कि आप कहते हैं, “8 मिनट में आलू कैसे आ गया?” — जवाब है, डार्क स्टोर!

भारत में इन स्टोर्स की संख्या तेजी से बढ़ रही है। क्विक कॉमर्स (Quick Commerce) सेक्टर अब शहरों के हर कोने में फैलता जा रहा है। लोगों को चाहिए तेज़ डिलीवरी, और कंपनियां दे रही हैं उससे भी तेज़ अनुभव। भविष्य में शायद वह दिन दूर नहीं जब आपकी खरीदारी कॉलिंग बेल से भी तेज़ आपके दरवाजे पर होग।


रिपोर्ट: संजय कुमार धीरज | साहिबगंज न्यूज डेस्क

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