साहिबगंज जिलेभर में हर्षोल्लास के साथ संपन्न हुआ करमा पूजा
Sahibganj News : साहिबगंज जिले भर में पिछले सात दिनों से चला आ रहा करमा पर्व का समापन शनिवार को हो गया। व्रती बहनें अपने भाई के सुख, संपन्नता और स्वास्थ्य के लिए यह व्रत रखती हैं। यह पर्व रक्षा बंधन का ही रूप है।
सात दिन पहले जिन डलियों में मटर, चना, जौ, तिल डाला गया था, वह आज बड़ी होकर लहरा रही है। व्रती बहनें कहती है कि इस डलिया का कुछ अलग ही महिमा है और इस बात की सच्चाई उगे हुए पौधों की लंबाई को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है।
मान्यता है कि कर्मा और धर्मा नामक दो भाइयों ने अपनी बहन की रक्षा के लिए जान को दांव पर लगा दिया था। दोनों भाई गरीब थे और उनकी बहन भगवान से हमेशा सुख - समृद्धि की कामना करती हुई तप करती थी।
बहन के तप के बल पर ही दोनों भाइयों के घर में सुख - समृद्धि आई थी। इस एहसान के फलस्वरूप दोनों भाइयों ने दुश्मनों से बहन की रक्षा करने के लिए जान तक गंवा दिया था। तब से इस पर्व को मनाने की परंपरा शुरू हुई।
इसके अलावा इस पर्व से जुड़ी एक और कहानी है। एक बार कर्मा परदेस गया और वहीं जाकर व्यापार में रम गया। बहुत दिनों बाद जब वह घर लौटा तो उसने देखा कि उसका छोटा भाई धर्मा करमडाली की पूजा में लीन है।
धर्मा ने बड़े भाई के लौटने पर कोई खुशी नहीं जताई और पूजा में ही लीन रहा। इस पर कर्मा गुस्सा गया और पूजा के सामान को फेंककर झगड़ा करने लगा। धर्मा चुपचाप सहता रहा। वक्त के साथ कर्मा की सुख - समृद्धि खत्म हो गई।
आखिरकार धर्मा को दया आ गई और उसने अपनी बहन के साथ देवता से प्रार्थना की कि भाई को क्षमा कर दिया जाए। एक रात कर्मा को देवता ने स्वप्न में करम की डाली की पूजा करने को कहा।
कर्मा ने वही किया और सुख - समृद्धि लौट आई, इसलिए करमा का पर्व झारखंड, बिहार, बंगाल, यूपी, उत्तराखंड सहित अन्य राज्यों में बड़े ही धूमधाम से मनाई जाती है।
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