मुफस्सिल थाना प्रभारी का प्रयास लाया रंग : 16 साल बाद बेटा अपने परिवार के संग : किसी फिल्मी स्टोरी से कम नहीं है मंगल की कहानी


साहिबगंज :- करीब 16 साल पहले लापता बेटे की अब घर वापसी हुई है, इससे परिजन बेहद खुश हैं। 

मुफस्सिल थाना प्रभारी का प्रयास लाया रंग : 16 साल बाद बेटा अपने परिवार के संग : किसी फिल्मी स्टोरी से कम नहीं है मंगल की कहानी

युवक को देखने के लिए ग्रामीणों की भीड़ लग गई है।मुफस्सिल थाना प्रभारी अनुपम प्रकाश के प्रयास से यह संभव हो सका। थाना प्रभारी के मुताबिक करीब दस दिन पहले हैदराबाद से एक व्यक्ति ने फोन कर उन्हें सूचना दी कि साहिबगंज का एक युवक यहां रह रहा है और उसे घर का पता मालूम नहीं है। युवक अपना घर गंगा पार दियारा के किसी गांव में होने की बात कहता है और वह घर लौटना चाहता है।

   इस सूचना पर थाना प्रभारी ने युवक से मोबाइल पर बातचीत कर आवश्यक जानकारी लेकर घर का पता लगाना शुरू कर दिया। यह काम काफी मुश्किल भरा था। लेकिन थाना प्रभारी ने हार नहीं मानी। युवक को अपने पिता जगदीश चौधरी का नाम मालूम था। इससे उन्हें अपने काम में थोड़ी मदद मिली। अंतत: थाना प्रभारी को पता चला कि साहिबगंज के गोपालपुर मकई टोला के जगदीश चौधरी का संझला पुत्र मंगल चौधरी करीब 16 साल पहले लापता हो गया था। अबतक परिजनों को उसका पता नहीं चल सका। पुत्र के वियोग में माता का निधन हो गया था। उधर, थाना प्रभारी ने सूचना पर जगदीश चौधरी व उसके दूसरे पुत्रों को थाने बुलाकर वीडियो कॉलिंग से बात कराने पर मंगल को उनलोगों ने पहचान लिया। फोन पर ही भावुक होकर परिजन रोने लगे।

   असल में गरीबी के चलते जगदीश ने मंगल को सात-आठ साल की उम्र में ही गांव के एक दुकानदार के यहां काम पर रखवा दिया था। बाद में दुकानदार उसे लेकर यूपी के गोरखपुर ले गया और वहां किसी होटल में रखवा दिया। मंगल ने वहां चार साल तक काम किया। होटल मालिक मंगल के साथ बुरा व्यवहार करता था। दिनरात काम करवाता था। बात-बात पर उसके साथ डांट-फटकार व मारपीट करता था। होटल के बगल के एक दुकानदार को यह सब देख अच्छा नहीं लगता था। एक दिन होटल में एक व्यक्ति भोजन करने आया। वह दुकानदार का परिचित था।

 उसने उसे पूरी कहानी बताकर मंगल को वहां से ले जाने को कहा। उस व्यक्ति ने हैदराबाद में मंगल को ले जाकर पंखा फैक्ट्री में काम पर रखवा दिया। फिर वहां उसे कोई परेशानी नहीं हुई। तब से मंगल वहां काम कर रहा था। अचानक वहां साहिबगंज के एक व्यक्ति से उसकी मुलाकात हुई। इससे मंगल के मन में घर वापसी की आस जगी। उसने उससे पूरी कहानी सुनाते हुए घर लौटने की इच्छा जताई। हालांकि उसे अपने घर का पता मालूम नहीं था। उस व्यक्ति ने जब मुफस्सिल थाना प्रभारी अनुपम प्रकाश का मोबाइल नम्बर पता कर सम्पर्क कर इस बारे में बताया तो उसने मंगल के घर का पता लगाकर उसकी वापसी की राह आसान कर दी।

थाना प्रभारी की सूचना पर मंगल के भाई बीते 11 अक्तूबर को ही मंगल को लाने के लिए हैदराबाद रवाना हो गए। बहरहाल, मंगल अब दोबारा काम के लिए कहीं बाहर जाना नहीं चाहता है। परिजनों ने मंगल का पता लगाकर घर वापस लाने में मदद करने के लिए मुफस्सिल थाना प्रभारी अनुपम प्रकाश का आभार जताया है।

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