कहलगाँव: महारत्न एनटीपीसी की जन्मभूमि और सप्तऋषियों की तपोभूमि


महारत्न NTPC की जन्मभूमि और सप्तऋषियों की तपोभूमि, एनटीपीसी की उड़ती राख लोगों की सेहत, जमीन और पर्यावरण तबाह कर रही है

महारत्न NTPC की जन्मभूमि और सप्तऋषियों की तपोभूमि, एनटीपीसी की उड़ती राख लोगों की सेहत, जमीन और पर्यावरण तबाह कर रही है

कहलगाँव : कहलगांव... सप्तर्षियों की तपोभूमि! लेकिन धूल और धुएँ में घुटता शहर! जी हाँ, एक तरफ़ कहलगाँव स्थित महारत्न एनटीपीसी कंपनी, जो देश को रौशन करने के लिए बिजली बनाती है… लेकिन दूसरी तरफ़, उसी एनटीपीसी की वजह से यहाँ के लोग “चिराग तले अँधेरा” वाली मुहावरे को अपने जीवन में चरितार्थ करने को मजबूर हैं।


NH-80 जाम और धूल का सफ़र

कहलगाँव शहर की जीवनरेखा मानी जाने वाली NH-80 आज भी निर्माणाधीन है। घंटों की जाम, धूल से भरा माहौल और आम जनता की फूलती साँसें। मानो सब कुछ थम स गया हो। स्कूल के समय में यह जाम की सबसे भयावह तस्वीर पेश करती है। सबसे बड़ी समस्या तब होती है, जब स्कूल का समय होता है।

भारी वाहनों की आवाजाही से जाम और भी भयावह हो जाता है। अभिभावक परेशान, देर से स्कूल पहुँचते बच्चे, और पूरा शहर ठप। कहलगाँव वासियों की वर्षों पुरानी माँग है कि स्कूल के आने-जाने के समय भारी वाहनों पर नो इंट्री लागू हो, लेकिन अफसोस… शासन-प्रशासन के कानों पर जू तक नहीं रेंगती। नतीजा—जनता लाचार और विवश होकर हर रोज़ इस संकट को झेलती है।


फ्लाई एश का कहर

कोयले से बिजली बनती है, लेकिन उसकी राख, यानी फ्लाई एश कहाँ जाती है? यही है कहलगाँव की सभी समस्याओं की जड़। हज़ारों एकड़ ज़मीन पर एश डंप, और उससे उड़ती राख… जो लोगों की सेहत, ज़मीन और पर्यावरण—सबको तबाह कर रही है।


कहलगाँव – आज भी टापू

इतिहास, उद्योग और ऊर्जा का केंद्र होने के बावजूद, कहलगाँव अब भी बुनियादी सुविधाओं से जूझ रहा है। यहाँ से पूरे देश में बिजली जाती है, लेकिन स्थानीय लोग अंधेरे और अभाव में जीने को मजबूर हैं। बड़ा सवाल यह है कि… क्या एनटीपीसी केवल देश को रोशनी देने के लिए ही है,

या कहलगाँव की तक़दीर भी बदलेगी? क्या NH-80 का अधूरा सपना कभी पूरा होगा? क्या स्कूलों के समय नो इंट्री की माँग सुनी जाएगी? और क्या कहलगाँव अपने हिस्से का विकास देख पाएगा? हम इन जनहित से जुड़े सवालों को हमेशा उठाते रहेंगे… क्योंकि यही हमारा मूल उद्देश्य है।


रिपोर्ट: संतोष कुमार झा | साहिबगंज न्यूज डेस्क

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