पंडित दीनदयाल उपाध्याय जयंती पर प्रो. सुबोध झा की काव्यात्मक श्रद्धांजलि
साहिबगंज : पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती पर प्रो. सुबोध कुमार झा ‘आशु’ ने अपनी स्वरचित काव्य रचना के माध्यम से उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कविता “अमर रहे पंडित दीनदयाल उपाध्याय” में उपाध्याय को एकात्म मानववाद के प्रणेता, राष्ट्रवाद के सशक्त राजनेता और आधुनिक भारत के युगदृष्टा के रूप में स्मरण किया।
काव्य पंक्तियों के जरिए प्रो. झा ने दीनदयाल उपाध्याय को राजनीति के महान संगठनकर्ता, साहित्य जगत के प्रकांड विद्वान और समाज सुधारक बताया। उन्होंने कहा कि व्यक्ति निर्माण से राष्ट्र निर्माण की उनकी सोच आज भी प्रासंगिक है।
श्रद्धांजलि संदेश में प्रो. झा ने लिखा—
"हिन्दू कोई धर्म या संप्रदाय नहीं, बल्कि भारत की राष्ट्रीय संस्कृति है"— पंडित दीनदयाल उपाध्याय।
अमर रहे पंडित दीनदयाल उपाध्याय
एकात्म मानववाद के प्रणेता,
राष्ट्रवाद के सशक्त राजनेता,
भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष,
अन्त्योदय के रहे निर्माणकर्ता।
सनातन संस्कृति के एक चिंतक;
समावेशित विचार के युगप्रवर्तक;
व्यक्ति निर्माण से राष्ट्र निर्माण को;
आर.एस.एस. के बने प्रचारक।
हिन्दी अंग्रेजी के प्रकांड विद्वान;
साहित्य जगत के लेखक महान;
राष्ट्रजीवन दर्शन के रहे सूत्रधार;
विपक्ष से विकल्प का था निर्माण।
राजनीति के महान संगठनकर्ता;
सशक्त भारत के भाग्य विधाता;
अमर रहे पं. दीनदयाल उपाध्याय;
आधुनिक भारत का एक युगदृष्टा
उन्होंने आगे कहा कि उपाध्याय भारत की पवित्र भूमि पर एकात्म मानववाद और अन्त्योदय के प्रबल समर्थक रहे। वे युगांतकारी युगदृष्टा, महान दार्शनिक, प्रखर लेखक, चिंतक और आधुनिक राजनीति के शिल्पकार थे। उनकी विचारधारा और दर्शन के कारण ही आज भारत परम वैभव की ओर अग्रसर है और विश्व मंच पर अग्रणी भूमिका निभा रहा है।
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