कर्मियों की कमी से जूझ रहा साहिबगंज सहकारिता विभाग, किसानों की उम्मीदों पर संकट


किसानों और ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़

कर्मियों की कमी से जूझ रहा साहिबगंज सहकारिता विभाग, किसानों की उम्मीदों पर संकट

साहिबगंज : सहकारिता विभाग को किसानों और ग्रामीण अर्थव्यवस्था की मजबूती की रीढ़ माना जाता है। यह विभाग किसानों, मछुआरों और अन्य सहकारी समूहों को मार्गदर्शन, ऋण, अनुदान, तकनीकी सहायता और आर्थिक सहयोग उपलब्ध कराता है। लेकिन विडंबना यह है कि जिले का सहकारिता विभाग खुद कर्मचारियों की गंभीर कमी से जूझ रहा है। सवाल उठता है कि जब विभाग के पास ही पर्याप्त जनशक्ति नहीं होगी, तो वह किसानों और समितियों की समस्याओं का समाधान कैसे करेगा?

समितियों की बढ़ती संख्या, घटती गति

पिछले तीन वर्षों में जिले में 54 सहकारिता समितियों का निबंधन हुआ है, जिनमें मछुआरों की संख्या सबसे अधिक है। इन समितियों के माध्यम से जलस्रोत प्रबंधन और मत्स्य पालन को संगठित तरीके से बढ़ावा मिल रहा है।

  • 2022 में 15 समितियों का गठन

  • 2023 में 25 समितियों का गठन

  • 2024 में सिर्फ 11 समितियां

  • 2025 में अब तक केवल 3 समितियां

यह आंकड़े बताते हैं कि कर्मचारियों की कमी के कारण समितियों के गठन की गति पर असर पड़ा है।

जिला कार्यालय की स्थिति

साहिबगंज सहकारिता विभाग में स्वीकृत पदों की तुलना में कार्यरत कर्मचारियों की संख्या बेहद कम है।

  • सहायक के 3 पदों में केवल 1 कार्यरत

  • चालक के 2 पदों में कोई कार्यरत नहीं

  • सहायक निबंधक कार्यालय में हालात और खराब, 13 स्वीकृत प्रसार पदाधिकारी में सिर्फ 4 कार्यरत

  • लिपिक और अनुसेवक के अधिकांश पद खाली

ये आंकड़े स्पष्ट करते हैं कि विभाग की कार्यक्षमता पर इसका सीधा असर हो रहा है।

किसानों की उम्मीदें और विभाग की चुनौती

किसान और मछुआरे सहकारिता विभाग से बड़ी उम्मीदें रखते हैं, लेकिन पद रिक्त रहने से उनकी अपेक्षाएं अधूरी रह रही हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि सरकार समय रहते खाली पदों पर बहाली करे, तो किसानों को न केवल समय पर सहयोग मिलेगा बल्कि समितियों का संचालन भी अधिक प्रभावी ढंग से हो सकेगा।

क्या कहते हैं अधिकारी?

जिला सहकारिता पदाधिकारी महादेव मुर्मू का कहना है कि कर्मचारियों की कमी के बावजूद सरकारी कार्यों को पूरा करना विभाग की जिम्मेदारी है। किसानों को हर संभव सहयोग देने और समितियों के गठन को बढ़ावा देने के लिए प्रयास जारी हैं। उन्होंने माना कि पद रिक्त रहने से चुनौतियां बढ़ी हैं और सरकार द्वारा बहाली ही इसका स्थायी समाधान हो सकता है।


रिपोर्ट: संजय कुमार धीरज | साहिबगंज न्यूज डेस्क

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