कब है अहोई अष्टमी व्रत?, जानें शुभ मुहूर्त-महत्व और मान्यता
साहिबगंज : कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाने वाली अहोई अष्टमी मातृत्व प्रेम और संतान की मंगलकामना को समर्पित पर्व है। इस दिन सुहागिन महिलाएं निर्जला व्रत रखकर संतान की दीर्घायु और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। संध्या समय तारों को अर्घ्य देने और अहोई माता की आराधना के बाद व्रत का पारण किया जाता है।
शुभ मुहूर्त: इस वर्ष अहोई अष्टमी व्रत 13 अक्टूबर 2025 (सोमवार) को रखा जाएगा। अष्टमी तिथि का प्रारंभ 13 अक्टूबर, रात 12:24 बजे से होगा। वहीं, अष्टमी तिथि का समापन 14 अक्टूबर, सुबह 11:09 बजे होगा। पंचांग के अनुसार, व्रत और पूजा का शुभ समय 13 अक्टूबर की संध्या को बन रहा है, जब माताएं अहोई माता की पूजा कर तारों को जल अर्पित करेंगी।
अहोई अष्टमी 2025 तिथि और शुभ मुहूर्त
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व्रत की तिथि: सोमवार, 13 अक्टूबर 2025
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अष्टमी तिथि प्रारंभ: 13 अक्टूबर, रात 12:24 बजे
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अष्टमी तिथि समाप्त: 14 अक्टूबर, सुबह 11:09 बजे
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पूजा का शुभ समय: 13 अक्टूबर की संध्या बेला (तारों के उदय के समय)
मान्यता: अहोई अष्टमी का व्रत संतान की लंबी आयु, स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए किया जाता है। इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं और संध्या समय अहोई माता एवं मां पार्वती की पूजा करती हैं। मान्यता है कि विधिवत पूजा करने से संतान पर आने वाले सभी संकट दूर हो जाते हैं और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है। जिन दंपतियों को संतान की प्राप्ति में बाधा होती है, वे भी इस व्रत को पूरे श्रद्धाभाव से करते हैं।
महत्व: यह व्रत करवा चौथ के चार दिन बाद और दीपावली से आठ दिन पहले आता है। अहोई माता को देवी पार्वती का रूप माना जाता है। मान्यता है कि अहोई माता की पूजा करने से वह प्रसन्न होकर व्रती की संतान को दीर्घायु, उत्तम स्वास्थ्य और समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं। यह व्रत न केवल मातृत्व के स्नेह का प्रतीक है, बल्कि परिवार में प्रेम, एकता और सुख के भाव को भी मजबूत करता है।
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