सड़कों की दयनीय सूरत, जगह-जगह गड्ढे, बंद पड़ी स्ट्रीट लाइटें, क्या यही पहचान रह गई है साहिबगंज की
साहिबगंज : एक ओर जहां साहिबगंज जिला के उत्तरी छोर पर निर्मल जीवनदायिनी उत्तरवाहिनी गंगा बहती हैं। वहीं, दक्षिणी छोर पर विश्व प्रसिद्ध राजमहल की पहाड़ियां अवस्थित हैं। इसीलिए साहिबगंज को प्रकृति का राजा कहा जाता है। जबकि दूसरी ओर जमीनी हकीकत इसके विपरीत तस्वीर पेश कर रही है।
जिले के राष्ट्रीय राजमार्ग सहित शहर के अन्य सड़कें गड्ढों में तब्दील हो गई हैं। बंद पड़ी स्ट्रीट लाइटें, जगह-जगह फैले कूड़े-कचरे के ढेर और जलभराव से नागरिकों का जीवन नारकीय हो गया है। जहाँ साहिबगंज जिला को सबसे ज़्यादा प्राकृतिक वादियों वाला शहर कहा जाता है।
वहीं सड़कों पर गड्ढे इतने गहरे हैं कि वाहन चलाना खतरे से खाली नहीं। बारिश के बाद ये गड्ढे तालाब में तब्दील हो जाते हैं, जिससे रोजाना किसी न किसी की जान जा रही है। साथ ही वाहनों को भी नुक़सान पहुँच रहा हैं। वहीं, बंद पड़ी स्ट्रीट लाइटों के कारण रात में दुर्घटना और असामाजिक गतिविधियों का खतरा बढ़ जाता है।
सबसे चिंता की बात यह है कि जगह-जगह कूड़े के ढेर यूं हीं खुले पड़े रहते हैं, जहां आवारा पशुओं का जमघट लगा रहता है। जिससे महामारी फैलने का खतरा मंडरा रहा है। नालियों का गंदा पानी सड़कों पर बहता नजर आता है, जिससे दुर्गंध और मच्छरों का प्रकोप बढ़ गया है।
स्थानीय निवासियों ने नगर परिषद के संबंधित अधिकारियों से बार-बार अनुरोध किया है कि इन समस्याओं को गंभीरता से लेते हुए तुरंत कार्रवाई की जाए, लेकिन अभी तक कोई ठोस समाधान नहीं निकल पाया है और शायद आगे भी समस्या का समाधान होने की उम्मीद नहीं है।
अब तो लोग भी पुछते हैं कि क्या यह वही शहर है, जहां राष्ट्रीय स्तर की मल्टी मॉडल बंदरगाह स्थापित है, जहां उच्च तकनीक से गंगा पुल निर्माणाधीन है और जहां हर साल सैकड़ों अंतरर्राष्ट्रीय पर्यटक यहां पहुंचते हैं। आगे देखना दिलचस्प होगा कि नगर परिषद और जिला प्रशासन इस खबर के बाद क्या संज्ञान लेती है?
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