अफ्रीका के नाइजर में अपहृत गिरिडीह के पांच श्रमिकों का छह माह बाद भी कोई सुराग नहीं
पश्चिमी अफ्रीका के नाइजर में झारखंड के गिरिडीह जिले के पांच प्रवासी श्रमिकों के अपहरण को छह माह से अधिक समय बीत चुका है, लेकिन अब तक उनका कोई सुराग नहीं मिला है।
परिजन हर दिन उनकी सकुशल वापसी की आस में सरकारी कार्यालयों और एजेंसियों के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन सरकार या कंपनी की ओर से कोई ठोस कदम अभी तक नहीं उठाया गया है।
⚠️ अप्रैल में हुआ था हमला और अपहरण
घटना 25 अप्रैल की है, जब नाइजर स्थित कल्पतरु ट्रांसमिशन कंपनी के कैंप पर सशस्त्र हमलावरों ने धावा बोला था।
हमलावरों ने कैंप में तैनात सुरक्षाकर्मियों पर अंधाधुंध फायरिंग की थी, जिसमें 12 सुरक्षा गार्डों की मौत हो गई थी। इसके बाद अपराधियों ने पांच भारतीय मजदूरों का अपहरण कर लिया था — सभी गिरिडीह जिले से थे।
अपहृतों की पहचान इस प्रकार है:
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संजय महतो
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चंद्रिका महतो
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राजू महतो
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फलजीत महतो (सभी दोंदलो पंचायत, बगोदर)
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उतम महतो (मुंडरो गांव)
😢 परिजनों में निराशा और भय का माहौल
अपहृतों के परिवारजन लगातार सरकार और विदेश मंत्रालय से संपर्क बनाए हुए हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस जानकारी या सुराग नहीं मिला है।
परिजनों का कहना है कि “हर दिन उम्मीद लेकर सोते हैं कि कोई खबर मिलेगी, लेकिन अब सरकार की चुप्पी चिंता बढ़ा रही है।”
🔫 नाइजर में लगातार बढ़ रहे हैं भारतीयों पर हमले
नाइजर में भारतीय मजदूरों पर हमले रुक नहीं रहे हैं। 15 जुलाई को भी ट्रांसरेल लाइटिंग लिमिटेड कंपनी के कैंप पर हमला हुआ था, जिसमें झारखंड के बोकारो जिले के गणेश करमाली और उत्तर प्रदेश के कृष्णा गुप्ता सहित सात सुरक्षाकर्मियों की हत्या कर दी गई थी।
इसी हमले में जम्मू-कश्मीर के रंजीत सिंह को भी अगवा कर लिया गया था।
⚖️ सुरक्षा पर गंभीर सवाल
इन घटनाओं ने अफ्रीकी देशों में भारतीय प्रवासी मजदूरों की सुरक्षा को लेकर गहरी चिंता और सवाल खड़े कर दिए हैं।
नाइजर में काम करने वाले मजदूरों के बीच भय और असुरक्षा का माहौल बना हुआ है।
परिजनों की मांग है कि भारत सरकार शीघ्र हस्तक्षेप कर अपने नागरिकों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करे।
रिपोर्ट: संजय कुमार धीरज | साहिबगंज न्यूज डेस्क

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