प्रोफेसर सुबोध झा की "बाल दिवस" पर विशेष अभिव्यक्ति
युवा भारत के नौनिहालों को बाल दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं। आपका स्वागत है कि भावी भारत के नवनिर्माण में आपकी महत्वपूर्ण भूमिका हो। आज का नौनिहाल भावी भारत के कर्णधार हैं। अतः हम अभिभावकों व शिक्षकों का यह ध्येय और फ़र्ज़ होना चाहिए कि हम उनके जीवन को ऐसे तराशें की उनके जीवन को खुशियों से भर दें।
साथ ही उन्हें कर्तव्यपरायणता का भाव इस प्रकार से सिखाएं कि भारत परम वैभव को प्राप्त हो। दुसरी ओर नौनिहालों से भी आशा है कि आप अपने भविष्य को सुरक्षित करने हेतु कठोर प्रण व तपस्या करें। आप यदि सफल होंगे तो भारत खुद ब खुद स्वर्णिम युग में होगा। आपके लिए संदेश के रूप में यह मुक्तक छंद प्रस्तुत है।
जीवन सरल नहीं होता,
उसे सरल बनाना पड़ता है।
समृद्धि ऐसे नहीं आती,
परिश्रम कर दिखाना पड़ता है।
कहते हैं कि समय मूल्यवान है-उसे जाया मत करो,
बहुत कुछ पाने के लिए बहुत कुछ खोना पड़ता है।
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तमन्ना जो दिल में है पाने की,
वो मंजर भी आएगा।
सफलता पाने का जोश,
दिल के अंदर भी आएगा।
अक्सर लोग परिश्रम करके राह से भटक जाते हैं;
गर जज्बा हो तो, प्यासे के पास समंदर भी आएगा।
एक बार पुनः सभी बच्चों को बाल दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं व शुभाशीर्वाद।

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