भारत के संविधान निर्माता डॉ. भीमराव की पुण्यतिथि पर प्रोफेसर सुबोध झा रचित कविता


भारत के संविधान निर्माता डॉ. भीमराव की पुण्यतिथि पर प्रोफेसर सुबोध झा रचित कविता

सामाजिक समरसता के पुरोधा कालजयी विराट व्यक्तित्व भारत रत्न बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर की आज पुण्यतिथि है, जिसे महापरिनिर्वाण कहा जाता है। श्रद्धांजलि स्वरूप प्रोफेसर सुबोध झा रचित कविता।


भारतीय संविधान का वास्तुकार;

प्रखर विधिवेत्ता व साहित्यकार

सामाजिक समरसता का पुरोधा;

भारतवर्ष पर बाबा का है उपकार।

एक दलित परिवार का आह्लाद;

पाया जो एक तेजस्वी औलाद;

बाल्यकाल से विलक्षण प्रतिभा;

समरसता के लिए बना फौलाद।


भारतीय समाज था शोषण युक्त;

हम सभी थे समाज के अभियुक्त;

समरसता का बस भाव जगाकर;

बाबा ने किया भारत को भयमुक्त।


समाज ने था जिसे ठुकराया;

बाबा ने उसे उड़ना सिखाया;

उनके समरस सिद्धांतों को ही;

हम राष्ट्रवादियों ने है अपनाया।


सभी हिंद के वासी एक बनें;

रंग,रूप,भाषा भले अनेक बनें;

ना कोई शोषित ना कोई वंचित;

हम एक थे अब बस नेक बनें।


आओ घर-घर यह अलख जगाएं;

समरस समाज का भाव बताएं;

एक भारत नेक भारत नीतियों से;

देश को परम वैभव ओर ले जाएं।


भारत का एक भाग्य विधाता;

संविधान का है वह निर्माता;

भारत रत्न व विराट व्यक्तित्व;

एक सुधारक विधि व्याख्याता।


आओ बाबा का हम करें सम्मान;

हमको है बस उन पर अभिमान;

समरस समाज बस तभी बनेगा;

जब हिन्दू एक का हो अभियान।


संकलित किया जो एक संविधान;

बस उसी राह चल पड़ा हिन्दुस्तान;

आओ नमन वंदन करें दिवस हम;

बाबा साहब का महापरिनिर्वाण।


रिपोर्ट: प्रो.सुबोध कुमार झा 'आशु' | सामाजिक समरसता मंच, झारखंड

0 Response to "भारत के संविधान निर्माता डॉ. भीमराव की पुण्यतिथि पर प्रोफेसर सुबोध झा रचित कविता"

Post a Comment

साहिबगंज न्यूज़ की खबरें पढ़ने के लिए धन्यवाद, कृप्या निचे अनुभव साझा करें.

Iklan Atas Artikel

Iklan Tengah Artikel 2

Iklan Bawah Artikel