काशी को मिली देश की पहली हाइड्रोजन जलयान की सौगात, केंद्रीय मंत्री ने हरी झंडी दिखाकर किया रवाना
देश की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक राजधानी काशी को गुरुवार को एक ऐतिहासिक उपहार मिला। गंगा नदी में देश के पहले हाइड्रोजन जलयान का संचालन औपचारिक रूप से शुरू हो गया।
केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने नमो घाट से जलयान को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया और स्वयं जलयान पर सवार होकर काशी विश्वनाथ मंदिर तक पहुंचे।
फिलहाल इस जलयान के किराया व बुकिंग की सुविधा शुरू नहीं की गई है, लेकिन जलमार्ग मंत्रालय के अनुसार जल्द ही यह सेवा आम नागरिकों के लिए उपलब्ध होगी।
‘हरित परिवहन की दिशा में महत्वपूर्ण कदम’ — केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल
“पहला स्वदेशी हाइड्रोजन ईंधन चालित जलयान मेक इन इंडिया और हरित परिवहन की दिशा में हमारी प्रतिबद्धता का उत्कृष्ट उदाहरण है। यह मिशन गंगा संरक्षण और पर्यावरणीय संतुलन को भी नई दिशा देता है।”
सोनोवाल ने आगे कहा कि जलमार्गों में स्वच्छ तकनीक अपनाकर भारत न केवल नवाचार को बढ़ावा दे रहा है, बल्कि पर्यावरण को प्राथमिकता देते हुए भविष्य की मजबूत समुद्री प्रणाली का निर्माण भी कर रहा है।
भारत में निर्मित, अत्याधुनिक सुविधाओं वाला 50-सीटर जलयान
देश का पहला हाइड्रोजन जलयान ब्रिटिश तकनीक आधारित है, लेकिन इसका निर्माण भारत में कोच्चि शिपयार्ड में किया गया है। इसकी प्रमुख विशेषताएँ—
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कुल लागत: ₹10 करोड़
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क्षमता: 50 यात्री
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लंबाई: 28 मीटर
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चौड़ाई: 5.8 मीटर
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क्रू मेंबर: 10
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एक चार्ज में संचालन: 8 घंटे
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हाइड्रोजन सिलेंडर: 4
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बैकअप: इलेक्ट्रिक बैटरी
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गति: 20–25 किमी/घंटा
यह गंगा में सुचारू और सुरक्षित संचालन के लिए आवश्यक सभी आधुनिक सुरक्षा प्रणालियों से लैस है।
राल्हूपुर में हाइड्रोजन फ्यूल स्टेशन भी तैयार
जलयान के ईंधन भरने के लिए रामनगर स्थित मल्टी मॉडल टर्मिनल (राल्हूपुर) पर हाइड्रोजन फ्यूल स्टेशन भी विकसित किया गया है। इससे जलयान का संचालन और रख-रखाव आसान हो जाएगा।
जल्द शुरू होगी आम जनता के लिए सेवा
अधिकारियों के अनुसार हाइड्रोजन जलयान को जल्द ही पर्यटकों और स्थानीय यात्रियों के लिए उपलब्ध करा दिया जाएगा, जिससे काशी में पर्यटन और हरित जल परिवहन को नई गति मिलेगी।

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