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सरकार, प्रशासन व जनता के सहयोग से बचेगा जीव - जंतु का अस्तित्व: डीएफओ मनीष तिवारी


जैव विविधता समय की सबसे बड़ी आवश्यकता: डॉ. प्रभाकर

Sahibganj News : एनएसएस साहिबगंज महाविद्यालय एवं बोकारो स्टील सिटी महाविद्यालय बोकारो के संयुक्त तत्वावधान में 28वें अंतरराष्ट्रीय जैवविविधता दिवस के अवसर पर "प्रकृति में जीव जंतु का अस्तित्व: मानव भूमिका" विषय पर आनलाइन विचार गोष्ठी आयोजित किया गया।

सरकार, प्रशासन व जनता के सहयोग से बचेगा जीव - जंतु का अस्तित्व: डीएफओ मनीष तिवारी

जिसमें कई राज्यों के वक्ता ने भाग लिया। बैठक का आयोजन कर रहे डॉ. रणजीत कुमार सिंह ने कहा कि “जल, ज़मीन, जंगल, जानवर, पहाड़ बचेगा" तभी जन बचेगा - “जीवन” बचेगा - “जगत” बचेगा। आज जैव विविधता दिवस है। प्रकृति के सभी रूप, वनस्पतियों, जीवों को बचाएँ उनका संरक्षण करें।

मौके पर मुख्य वक्ता सह जिला वन पदाधिकारी मनीष तिवारी ने कहा कि वन विभाग की ओर से इस दिशा में उनका प्रयास निरंतर जारी है। इस मुद्दे पर जनता को जागरूक होकर भी पहल करने की आवश्यकता है।

सरकार, प्रशासन व जनता के समन्वय से ही प्रकृति में जीव - जंतु के अस्तित्व को बचाया जा सकता है। सिटी महाविद्यालय बोकारो के मनोविज्ञान के प्रोफेसर डाॅ. प्रभाकर कुमार ने कहा कि मानव सभ्यता के विकास की धूरी जैव-विविधता, मुख्यतः आवास विनाश,

आवास विखण्डन, पर्यावरण प्रदूषण, विदेशी मूल के वनस्पतियों के आक्रमण, अतिशोषण, वन्य-जीवों का शिकार, वनविनाश, अति-चराई, बीमारी आदि के कारण खतरे में है। अतः पारिस्थितिक संतुलन, मनुष्य की विभिन्न आवश्यकताओं की पूर्ति एवं प्राकृतिक आपदाओं (बाढ़, सूखा, भू-स्खलन आदि) से मुक्ति के लिये जैव-विविधता का संरक्षण आज समय की सबसे बड़ी आवश्यकता है।


झारखंड सोशियोलॉजिकल सोसायटी के महासचिव सह समाजशास्त्री डॉ.एस.के.झा ने कहा कि वर्ष 2021 में अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता दिवस का मुख्य थीम "We Are The Part of The Solution For Nature". था। यानी हम समाधान का हिस्सा बनें।

भारतीय ग्रंथों में यथा-कठोपनिषद्, नरसिंह पुराण, स्कंधपुराण, विष्णु पुराण, अथर्ववेद, महाभारत, रामायण आदि में पर्यावरण संरक्षण के बारे में विस्तार से बतलाया गया है। डेविड टिलमैन, पाल ऐहरिक, प्रो. दिव्यदर्शन पंत एवं इंटरनेशनल यूनियन फाॅर कंजरवेशन आफ नेचर एंड नेचुरल रिसोर्सेस

के प्रतिवेदन के आधार पर डाॅ. झा ने कहा कि जैवविविधता को क्षति पहुंचाने वाले कारण यथा- आवासीय क्षति, अतिदोहन, विदेशी जातियों के आक्रमण तथा सहविलुप्तता को दूर करते हुए प्रकृति के अनुसार सभी प्रजातियों को जीने का अवसर प्रदान किया जाना चाहिए।


साथ ही जैव विविधता के संरक्षण हेतु "इन सीट" और "एक्स सीट" पर बल देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि "ईशावास्य मिदं, सर्व यात्किच्चित जगात्यां जगत, तेन त्वक्तेन भुच्चीया मां गृध:कस्य स्विद धनम!!

यानी इस आखिल ब्रह्मांड में जो कुछ जड़ चेतन है।उसका त्यागपूर्वक भोग करना चाहिए, क्योंकि यह संपदा किसी की नहीं है। इसलिए कोरोना महामारी से उपजे समस्याओं को देखते हुए मानव अपने इंट्रिजिक वैल्यू को बनाए रखते हुए जैविक धरोहर को सुरक्षित रखे।

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