साहिबगंज कॉलेज के पूर्व जन्तु विज्ञान प्रो. व पूर्व छात्र कल्याण पदाधिकारी नसीर अहमद का निधन
Sahibganj News : साहिबगंज महाविद्यालय के पूर्व जंतु विज्ञान के अध्यक्ष, विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता, पूर्व छात्र कल्याण पदाधिकारी प्रोफेसर नसीर अहमद अंसारी का 80 वर्ष की अवस्था में निधन हो गया.
उनके निधन से महाविद्यालय और विश्वविद्यालय प्रशासन सहित हर वो छात्र निःशब्द औऱ शोकाकुल है, जिन्होंने उनसे शिक्षा ग्रहण किया था.
बता दें कि साहिबगंज महाविद्यालय के विकास में उनका अहम योगदान रहा है. खास कर महाविद्यालय के कुछ विभाग तो उन्हीं की देन है.
छात्र और शिक्षक हित के मुद्दे एवं सामाजिक कार्यों में उनकी रुचि जीवन के अंतिम क्षणों तक बरकरार रही. खास कर पर्यावरण, प्रकृति, पहाड़ व फॉसिल संरक्षण को लेकर उनका सराहनीय योगदान व प्रयास भुलाया नहीं जा सकता.
वे एक विद्वान शिक्षक, मिलनसार व्यक्तिगत के स्वामी, खुशमिजाज व किसी बात को बेबाकी से रखने वाले इंसान थे। ज्ञात रहे कि पूर्व मे वे एक कुशल प्रशासक और पत्रकार भी रहे.
उन्होंने अंग्रेज़ी दैनिक, टाइम्स ऑफ इंडिया में वर्षों अपनी सेवा दी. वे ईमानदार के साथ - साथ कुशल शिक्षक, सहज सरल व्यक्तित्व के धनी व्यक्ति थे. वे समय के बहुत अनुशासित थे.
उन्होंने साहिबगंज महाविद्यालय साहिबगंज में दो जनवरी 1975 में व्याख्याता पद पर अपना योगदान दिया था, तथा 2009 में वे सेवानिवृत्त हुए थे.
उनके पुत्र तालिब अंसारी मुंबई के बैंक में कार्यरत हैं. उनका जीवन शैली बहुत साधारण रहा और वे साईकल से ही महाविधालय और विश्वविद्यालय आते- जाते थे.
उनके निधन से साहिबगंज ही नहीं पूरे शिक्षा जगत में शोक की लहर दौड़ गई है. बता दें कि उनका पैतृक गांव, बिहार के गोपालगंज जिले के ग्राम पगरा, थाना विजयीपुर में है.
वर्तमान में वे उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में घर बना कर रह रहे थे. उनका साहिबगंज के कॉलेज रोड में कुलीपाडा में भी आवास है. वे सांस व पुर्व से कई गंभीर बीमारी से जूझ रहे थे.
बता दें कि राजमहल पहाड़ी, जीवाश्म, फॉसिल संरक्षक व भूविज्ञान विभाग में स्नातकोत्तर विभाग खोलने में उनका बड़ा योगदान रहा.
उनके निधन पर साहिबगंज महाविद्यालय के शिक्षक, महाप्रशासन, विश्वविद्यालय प्रशासन, शिक्षकों व संघ कर्मियों ने गहरा शोक व्यक्त किया है.
सिद्धो - कान्हू मुर्मु विश्वविधालय में सबसे पहले डीएसडब्ल्यू, खेल पदाधिकारी और छात्र संघ का पृथक कार्यालय इन्हीं की देन थी.
महाविद्यालय के भूगर्भ विभाग के डॉक्टर रणजीत सिंह ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि नसीर सर का मुझसे अच्छा सम्बंध था.
वो हमारे मार्गदर्शक थे. हम उनके छात्र भी रहे और साथ में काम करने का सौभाग्य व अनुभव भी प्राप्त हुआ. उनके निधन से मुझे व्यक्तिगत बड़ी क्षति पहुँची है.
उन्होंने बताया कि वे सिद्धो - कान्हू मुर्मु विश्वविद्यालय के पहले और एकमात्र ऐसे पदाधिकारी रहे, जो वाईस चांसलर के प्रभार में रहते हुए भी साईकल से ही विश्वविधालय आते-जाते थे. वे अंग्रेजी के एक अच्छे पत्रकार भी रह चुके थे.
साहिबगंज न्यूज़ चैनल की ओर से विद्वान सर को भावभीनी श्रद्धांजलि
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